उत्तरकाशी। स्वास्थ्य की दृष्टि से अनफिट श्रद्धालु शपथ पत्र देकर जान जोखिम में डाल यमुनोत्री व केदारनाथ धाम की यात्रा कर रहे हैं। 12 मई को यमुनोत्री जा रहा गुजरात का एक श्रद्धालु जानकीचट्टी में स्वास्थ्य परीक्षण में अनफिट मिला।
चिकित्सकों ने उसे यात्रा टालने की सलाह दी, लेकिन उसने स्वास्थ्य विभाग को शपथ पत्र देकर यात्रा जारी रखी। लौटते हुए हृदयगति रुकने से उसकी मौत हो गई।शपथ पत्र देकर जान जोखिम में डाल यमुनोत्री व केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अब तक 447 पहुंच चुकी है। जबकि, इन दोनों धाम में हृदयगति रुकने से 30 श्रद्धालुओं ने दम तोड़ा।
चारधाम आने वाले अस्वस्थ और 50 वर्ष से अधिक उम्र के श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था है। यमुनोत्री और केदारनाथ धाम में यह व्यवस्था प्रभावी रूप में दिखने लगी है।
उत्तरकाशी में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. केएस चौहान ने बताया कि बीते 12 दिनों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जानकीचट्टी में यमुनोत्री जाने वाले 3593 श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य जांच की गई, जिसमें 325 अनफिट मिले।
इनमें से 30 श्रद्धालुओं ने समझदारी दिखाई और जानकीचट्टी से ही वापस लौट गए। लेकिन, शेष 295 अनफिट श्रद्धालुओं ने शपथ देकर जान जोखिम में डाल यात्रा की। सीएमओ डा. केएस चौहान ने बताया कि शपथ पत्र में अनफिट यात्री की ओर से स्पष्ट किया जा रहा है कि स्वास्थ्य जांच में उसके शुगर और बीपी की स्थिति यह रही। साथ ही वह पूर्व में हुई बीमारी का उल्लेख भी शपथ पत्र में कर रहा है। इसके अलावा यात्रा के दौरान कोई अनहोनी घटती है तो इसकी जिम्मेदारी भी वह स्वयं ही ले रहा है। शपथ पत्र में अनफिट यात्री के साथ उसके स्वजन के हस्ताक्षर भी लिए जा रहे हैं। वहीं, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने कहा कि अनफिट श्रद्धालुओं की काउंसिलिंग की जा रही है। साथ ही उन्हें जानकीचट्टी के पास यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल तक जाने की सलाह दी जा रही है। धामों के निकटवर्ती अंतिम सड़क मार्ग से जुड़े पड़ाव पर स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं। इनमें अनफिट मिल रहे श्रद्धालुओं को यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है।