….दून अस्पताल में अपने भाई की लाश काे पीठ में घर की ओर ले जाता भाई….प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में इस गरीब काे न स्टेचर मिला न ही एम्बुलेंस….!
वाे ताे शुक्र हाे कुछ किन्नराें का जिन्हाेंने अस्पताल के गेट पर इसे देख लिया, फिर उन्होंने चंदा इकट्ठाकर लाश काे घर तक भिजवाया…..
जब राजधानी के ये हाल हैं…ताे दूरदराज के पहाड़ों का हाल क्या हाेगा इसका अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं…….!