सुलभ श्रीवास्तव के परिवार को 1 करोड़ रुपये की फेरी तोर पर सरकार को मदद देनी चाहए
देहरादून, पहाडोंकीगूँज प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की संदिग्ध मौत पर सरकार के द्वारा खुलासा नहीं होने के कारण का अध्यक्ष प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया न्यायमूर्ति चन्द्रमौली कुमार प्रसाद ने स्वतः सन्ज्ञान लिया है।और उत्तरप्रदेश सरकार, महानिदेशक पुलिस उत्तरप्रदेश, पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ को तथ्यों पर
आधारित रिपोर्ट देने के लिएकहा है
पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव संदिग्ध मौत का अध्यक्ष प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्वतः लिया संज्ञान लेकर पीयल दाखिल कर कर
नई दिल्ली: विपक्षी नेताओं और भाजपा के एक सांसद ने बीती सोमवार की रात प्रतापगढ़ जिले में एक निजी समाचार चैनल के पत्रकार की रहस्यमयी मौत पर भीर सवाल उठाए है।
बीते दिनों शराब माफिया के विरुद्ध खबर चलाने वाले पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव ने 12 जून को इलाहाबाद के अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की थी.
पत्रकार की मौत पर सवाल उठाने वालों में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ प्रतापगढ़ के भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता भी शामिल हैं।
सौ से ज्यादा पत्रकारों ने सोसियल डिस्टेंस का पालन करते हुए प्रदशर्न कर निष्पक्ष जांच की मांग की ।
पत्रकारों का कहना है कि जब परिवार वालों को पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है! तो जांच दूसरे अधिकारियों को यस आई टी ,सीबीआई को देनी चाहिए।इस घटना से पत्रकारिता से जुड़े लोगों का सही तरीके से काम करने के लिए मनोबल टूटने लगा है ।
पत्रकारों को यह भी कहना है कि अब पत्रकारों के लिए काम करनेवाले लोगों मे सही तरीके से रिपोटिंग करने में दसहत पैदा होने लगी है।यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए ट्वीट किया, ‘प्रतापगढ़ में एक कथित हादसे में एक टीवी पत्रकार की संदिग्ध मौत बेहद दुखद है। भावभीनी श्रद्धांजलि! भाजपा सरकार इस मामले में एक उच्च स्तरीय जांच बैठाकर परिजन और जनता को ये बताए कि पत्रकार द्वारा शराब माफिया के हाथों हत्या की आशंका जताने के बाद भी उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी।
Ifsmn नेशनल मीडिया कंफरदेशन के राष्ट्रीय संयोजक जीतमणि पैन्यूली ने उत्तरप्रदेश सरकार से मांग की है कि निष्पक्ष जांच कराते हुए दोषी पर कार्यवाही करनी चाहिए ताकि अन्य पत्रकारों को सही रिपोर्टिंग करने के लिए मन में दहशत न रहें ।इनके परिवार को
1 करोड़ रुपये की फेरी तोर पर सरकार को मदद देनी चाहिए।
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