आप हमारा साथ दीजिए, हम आपको गैरसैंण राजधानी देंगे
पिछले एक माह से सोच रहा था कि ग़ैरसैंण आंदोलन के सम्बंध में आप सभी से चर्चा करूँ और दो शब्द लिखूँ। लेकिन परिस्थितिवश मैं लिख नहीं पा रहा था।
मैं आप सभी को यह बताना चाहता हूँ कि गैरसैंण राजधानी की आग अभी ठंडी नहीं पड़ी है। यह आग आज भी हमारे सीने में जल रही है और यह आग तब तक जलती रहेगी, जब तक गैरसैंण राजधानी नहीं बन जाती। यह बात अलग है कि कुछ समय से गैरसैंण आंदोलन का शोर सड़कों पर नहीं सुनाई दे रहा है। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि गैरसैंण आंदोलन अब ठंडे बस्ते में चला गया है।
मुझे और मेरे आंदोलनकारी साथियों से हर रोज़ कोई न कोई व्यक्ति यही सवाल पूछता है कि क्या हुआ गैरसैंण आंदोलन का ? अब आंदोलन शांत क्यूँ हो गया ? यह सवाल मुझे अधिकतर वही लोग पूछते हैं, जो कभी हमारे आंदोलन में शरीक नहीं हुए। सोशल मीडिया पर गैरसैंण राजधानी पर बड़ी-बड़ी बातें हाँकने वाले लोग कभी ज़मीन पर नहीं दिखाई दिये। इसलिए हमें दुःख भी होता है। इसके बावजूद हम पूरी शिद्दत और समर्पण भाव से गैरसैंण के लिए लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
कई बार हम मन ही मन यह भी सोचते हैं कि अगर हमारे बलिदान से गैरसैंण राजधानी बनती है तो हम उसे देने में भी अपना सौभाग्य समझेंगे। हमारी आप सभी से यही गुज़ारिश है कि आप इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लीजिए। जहाँ कहीं भी गैरसैंण को लेकर आंदोलन चल रहा हो, आप वहाँ साथ देने पहुँच जाइये।
आप सभी भली-भाँति जानते हैं कि दुनिया के इतिहास में कोई भी आंदोलन जन सहभागिता से ही सफल हुए हैं। किसी भी आंदोलन की सफलता के लिए जन भागीदारी ज़रूरी है। गैरसैंण आंदोलन तभी सफल होगा, जब आप लोग सड़कों पर हमारा साथ देंगे। बिना आंदोलन के हम गैरसैंण राजधानी की कल्पना नहीं कर सकते हैं।इसी क्रम में गैरसैंण राजधानी आंदोलन को गति देने के लिए द्वाराहाट में 11 जुलाई 2018 को स्थानीय लोग एकत्रित हो रहे हैं। इसके अलावा एक सप्ताह के भीतर देहरादून में भी एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें आंदोलन की अग्रिम रणनीति पर चर्चा की जायेगी।जय उत्तराखंड-जय गैरसैंणल ड़ेंगे-जीतेंगे-मोहित डिमरी