देहरादून। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के तीनों चरणों की वोटिंग हो चुकी है और अब इंतजार 21 अक्टूबर का है। इसी दिन पंचायत चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों की नजर नतीजों पर टिकी है। पंचायत चुनाव के नतीजे जो भी हों पर बीजेपी और कांग्रेस की अगली तैयारी पिथौरागढ़ के लिए होगी। इस सीट पर भाजपा अभी तक अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पायी है, परन्तु कांग्रेस की ओर से कौन उम्मीदवार हो सकता है इसको लेकर सूबे के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं अभी से जोर पकड़ने लगी हैं।
सूत्रों की माने तो कांग्रेस इस सीट से उपचुनाव में एक मजबूत नेता को उतारने पर मंथन कर रही है। फिल वक्त की बात करें तो कांग्रेस में पिछले कुछ समय से नेताओं ने विभिन्न मंचों से जिस तरह से एकजुटता दिखायी है उससे नेताओं की ओर से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी के भीतर अब पद और कद की नहीं बल्कि प्रदेश में पार्टी का असतित्व बचाने की लड़ाई है। यदि चर्चाओं पर यकिन करें तो इस कद्दावर नेता को पिथौरागढ़ उपचुनाव से इस वजह से भी उतारा जा सकता है कि यह क्षेत्रा उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है और इस क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत होने के साथ-साथ यहां के लोगों की सहानुभुति भी उनके साथ दिखायी दे रही है। यदि इस कद्दावर नेता को कांग्रेस ने उपचुनाव में उतार दिया तो यह स्थिति सत्तारूढ़ भाजपा के लिए काफी मुश्किल परिस्थितियां पैदा कर सकती हैं।
गौर हो कि पिथौरागढ़ में 5 दिसंबर से पहले विधानसभा उपचुनाव होना है। साल 2017 में पिथौरागढ़ सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत विधयक चुने गए थे। वह त्रिवेंद्र रावत सरकार में वित्त मंत्री भी रहे। इसी साल 5 जून को बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया। पिथौरागढ़ विधनसभा सीट खाली है और संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत खाली सीट पर 6 महीने के भीतर चुनाव होना चाहिए। इसलिए पंचायत चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद बीजेपी और कांग्रेस का फोकस पिथौरागढ़ उपचुनाव होगा।
पिथौरागढ़ विधानसभा सीट कुमाऊं मंडल की अहम सीट में से एक है। 2017 में ये सीट बीजेपी के खाते में गई। अब सवाल है कि क्या उपचुनाव में बीजेपी इस सीट को अपने झोली में डाल पाएगी। वहीं कांग्रेस के लिए पिथौरागढ़ सीट साख का सवाल होगी। बीजेपी में जहां स्वर्गीय प्रकाश पंत के परिवार से किसी सदस्य को टिकट दिए जाने की चर्चा है, वहीं कांग्रेस से किसी कद्दावर नेता को यहां से टिकट दिए जाने की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में तेजी होने लगी हैं। हालांकि संभावना यह भी जताई जा रही है कि कांग्रेस से 2017 में चुनाव लड़ चुके मयूख महर को फिर टिकट मिल सकता है, परन्तु कांग्रेस चाहेगी की यह सीट किसी भी तरह से उसकी झोली में जिससे की विधानसभा में उसके सदस्यों की ना केवल संख्या बढ़े बल्कि सत्तारूढ़ दल को घेरने के लिए एक विधायक भी मिल जाए जो कि तेज तर्रार हो।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र रावत सरकार में थराली से विधायक रहे मगनलाल शाह का फरवरी 2018 में निधन हुआ था। इस सीट पर 2018 में ही उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार और मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी ने जीत दर्ज की थी। पिथौरागढ़ उपचुनाव के लिहाज से दूसरी परीक्षा है। उपचुनाव में अक्सर फैसला मौजूदा सरकार के पक्ष में जाता है, लेकिन कई बार बाजी पलट भी जाती है। ऐसे में सरकार के आध्े कार्यकाल के बाद हो रहा उपचुनाव काफी अहम होगा। क्योंकि यह चुनाव त्रिवेन्द्र सरकार की लोकप्रियता का आंकलन करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।