वोल्गा से गंगा राहुल सांकृत्यायन की प्रसिद्ध कृति है। यह बीस कहानियों का संग्रह है। *समाज के विकास-क्रम को इतिहास की पृष्ठभूमि में सरल रूप में समझाने के लिए राहुल ने वोल्गा से गंगा की 20 कहानियां लिखीं।* इसकी कहानियाँ आठ हजार वर्षों तथा दस हजार किलोमीटर की परिधि में बँधी हुई हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह कहानियाँ भारोपीय मानवों की सभ्यता के विकास की पूरी कड़ी को सामने रखने में सक्षम हैं। 6000 ई.पू. से 1942 ई. तक के कालखंड में मानव समाज के ऐतिहासिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अध्ययन को राहुल सांकृत्यायन ने इस कहानी-संग्रह में बाँधने का प्रयास किया है।
इन कहानियों का कितना ज्यादा प्रभाव पड़ा है, यह इसी से जाना जा सकता है कि राहुल की इसी पुस्तक को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली और उनकी इसी पुस्तक का देश-विदेश की सबसे ज्यादा भाषाओं में अनुवाद हुआ जाहिर है कि इन कहानियों ने बहुतों की पुराणपंथी पर गहरी चोट भी की है। इन्हें पढ़कर कुछ ने राहुल को ‘नग्नवादी वेदनिंदक राहुल’कहा, तो किसी ने इन्हें महज प्रोपेगैंडा माना। राहुल का स्पष्ट उत्तर है: “मेरे उपन्यासों या कहानियों में प्रोपेगैंडा के तत्व को ढूढ़ने के लिए बहुत प्रयत्न करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मेरा उद्देश्य मेरे सामने न रहता, तो शायद मैं कहानी या उपन्यास लिखता ही नहीं, इसलिए जिसे मेरे दोस्त प्रोपेगैंडा कहते हैं, उसे मैं अपनी मजबूरी मानता हूं।”
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