सुधी पाठकों एवं देश वासियों को बटुकभैरव अष्टमी /कॉल भैरव जयंती की हार्दिक बधाई।
कालभैरव जयंती को महाकाल भैरवअष्टमी और कालाभैरव अष्टमी के नाम से जाना जाता है। ये दिन भगवान शिव के रुप काल भैरव को समर्पित किया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के ढलते चांद यानि कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन कालभैरव अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन काल भैरव का जन्म माना जाता है। इस दिन कालभैरव के साथ अपने पूर्वजों को याद किया जाता है। मान्यता के अनुसार काल का अर्थ होता है समय और भैरव को भगवान शिव का रुप माना जाता है। कालभैरव समय के देवता माने जाते हैं और इस दिन पूरे भारत में उत्साह के साथ पर्व मनाया जाता है। कालभैरव की पूजा से घर में नकारात्मक ऊर्जा, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है। भगवान शिव के दो रुप हैं एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। बटुक भैरव रुप अपने भक्तों को सौम्य प्रदान करते हैं और वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृत्तयों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं।इष्टदेव श्री बटुक भैरव जयन्ती की प्रदेश देश वासियों को श्री बद्रीनाथ श्री केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी संघ के पूर्व संरक्षक एवं सम्पादक की ओर से अनेकानेक हार्दिक शुभ कामनाये।जय बटुक भैरव