देहरादून। लोगों के दिलों में कोरोना का खौफ इस कदर छाया है कि जब एम्स ऋषिकेश में भर्ती कैंसर से ग्रसित कोरोना संक्रमित महिला का अंतिम संस्कार करने पहुंचे तो वहां मुखाग्नि देने के लिए माचिस तक का इंतजाम नहीं था। इतना ही नहीं, श्मशान घाट समिति के लोग और पंडित कमरे में कैद हो गए। कोई भी बाहर नहीं आया। तब पुलिस ने अंतिम संस्कार करवाया।
एम्स ऋषिकेश में संक्रमित महिला की मौत के बाद शनिवार शाम चंद्रेश्वरनगर स्थित मुक्तिधाम घाट पर पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया। महिला के शव को उनके पति ने मुखाग्नि दी। लेकिन घाट पर पूर्व सूचना के बावजूद अव्यवस्थाएं हावी रहीं। अंतिम क्रिया में अग्नि देने के लिए माचिस तक का इंतजाम नहीं था। क्रियाकर्म के पूरे सामान का इंतजाम पुलिस ने कराया।
महिला का शव पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में परिजनों को सौंप दिया था। इसके बाद एंबुलेंस से शव को मुक्तिधाम लाया गया। जहां पहले से मौजूद नगर निगम की सैनिटाइजेशन टीम ने एंबुलेंस और पूरे मुक्तिधाम परिसर को सैनिटाइज किया। इस दौरान घाट पर संवेदनशील मामला होने के बावजूद अव्यवस्थाएं रहीं। इस पर कोतवाल रितेश शाह ने नाराजगी भी जताई।
उन्होंने बताया कि मुक्तिधाम सेवा समिति के जो लोग अंतिम क्रिया को पूरा कराते हैं, उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया। ऐसे में वहां मौजूद पुलिस और प्रशासन के सभी लोग जोकि पीपीई कीट पहने हुए थे, क्रियाकर्म का सामाना ढंढ़ते रहे, लेकिन मुक्तिधाम सेवा समिति के लोगों ने माचिस तक उपलब्ध नहीं कराई।
पुलिस ने किसी तरह व्यवस्थाएं जुटाई और अंतिम क्रिया को पूरा कराया। इस दौरान उप जिलाधिकारी प्रेमलाल, तहसीलदार रेखा आर्य, कोतवाल रितेश शाह, पटवारी सतीश जोशी एवं उत्तम रमोला, नगर निगम ऋषिकेश की सफाई निरीक्षक धीरेंद्र सेमवाल, अभिषेक मल्होत्रा, प्रशांत कुकरेती एवं सफाई नायक नरेश, महेंद्र,राजेंद्र आदि मौजूद रहे।