उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चार धाम हैं भूतों न भविष्य में बहने वाली मा भगीरथी गंगा के साथ साथ यमुना, राम गंगा, धोली , कोशी का अमृत जल से हम अपने जन्म से लेकर परलोक को सुधारने के साथ साथ ज्ञान के पिपाशुओं की प्यास बुझाने के लिए एवं सन्तों को तपस्या करने के लिए उत्तराखंड का विशेष महत्व पूर्ण स्थान है। वेद व्यास जी ने व्यास गुफा बद्रिकाश्रम में श्री गणेश भगवान जी के कर कमलों से हमारे ज्ञान के स्रोत सभी धर्मिक ग्रन्थों की रचना की है।जो सदियों पहले से हमारे ज्ञान दर्शन का पताका विश्व में प्रचलित है।हमारे पवित्र धर्मिक ग्रन्थों, पुराणों,ऋचाओं में लिखे गये शब्दों को पढ़ने व सुनने से शरीर में नई उर्जा का संचार होने लगता है। मनुष्य के अन्दर विवेक जागने लगता है ।प्रदेश की निर्मल नदियों के जल से
लाखों हेक्टेयर भूमि से सिंचाई की सुभिधा पाकर मनन करने वाले तथा अब मनन नहीं करने से पशुओं की श्रेणी में जाने की तैयारी करने वाले करोड़ों मनुष्यों की भूख मिटाने के साथ साथ अन्य जीव जंतुओं का भरण पोषण, के अलावा आसुरी शक्तियों को पैदा करने वाले खनिज संपदा का दोहन करा रहें हैं। नदियों जल से करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
अब नदियों से उर्जा के उत्पादन कराने से असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं। विश्व का सबसे बड़ा बहुउद्देश्यीय टिहरी बांध के कारण हमारे उत्तराखंड के सम्पन इलाके प्रतापनगर को असुभिधा के कारण नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हमारी मानवीय संवेदना हीनता ने करदिया है । तब से प्रशासन, स्वास्थ्य, अन्य विकास विभाग का कोई भी अधिकारी वहां स्थाई तोर पर नहीं रहा है । ऐसा अन्य अधिकारियों का है ।वहां पर 2लाख की आवादी में एक मदद एक्सरे मशीन नहीं लगा पाई सरकार से यह हमारी जन सेवा करने की सोच को दरसता है।
उत्तराखंड के अधिकारियों कर्मचारियों का अड्डा देहरादून होगये ।पहाड़ पर जाने को तैयार नहीं कोई नीति नियम न होने से विकास प्रभावित होना ही होना है मशीन जब चलेगी नहीं तो काम होने का अंदाज अंधा आदमी भी लगा लेगा उसी के कारण प्रदेश सरकार पर कर्ज बढ़ रहा है। घपले घुटाले की ब ढ़ अधिकारी एवं उनके पैरोकार के द्वारा उनको अस्थायी तैनाती देने से होरहा रही है।उनको सजा नहीं होने से दूसरे बड़े घुटालों सेे अपराध एंव अपराधी को बढ़ावा देने का प्रयास करने में लगे हैं।
उत्तराखंड पवित्र स्थान होने के नाते राज्य के बाहर जो हमे हमारे परिचय के नाते पूछताछ करते हैं तो हम उन्हें अपने को उत्तराखंड के निवासी बताने पर उनके शरीर में नई ऊर्जा का संचार नाम सुनने से होजाता है । इस पवित्र नाम को बनाने के लिए हमारे देवताओं, मनीषियों ने कितने सद कर्म करने के लिए तपस्या की है। उसके लिए हमेशा उनके ऋणी हैं।परन्तु आज उतरा खंड में रह रहे लोग कानून में दीगई शक्ति का दुरुपयोग करने में अपना बड़ा नाम समझ रहे हैं। अपने विवेक से काम करने के लिए ,मोह माया
से अपने को अपने बड़े का सेवक
दिखाने के,
दिखने के नाते निर्णय लेने से कतराते नजर रहे हैं ।इससे अपने विवेक को खोते जारहे है ।यह दुर्भाग्य हमारे उत्तराखंड वासियों का हमारे नेताओं ,कर्मचारियों की भौतिक इच्छा की पूर्ति करने के लिए जनता की सेवा करने के लिए काम करने की इच्छा शक्ति के अभाव से होरहा है। हम उत्तराखंड वासी अपने को ठगा महसूस करते नजर रहे हैं सरकार पर अधिकारी हावी होगये हैं।उनके हिसाब एवं कार्य करने की शैली से राज्य वासी अपने को ठगा महसूस कर रहें हैं। जहाँ
उत्तराखंड के नाम लेने से उत्तराखंड के बाहर निवासी में नई ऊर्जा का संचार होजाता है। वहीं अब अपने हितों के लिए विवेक समाप्त करने के लिए हम आतुर होने से उत्तराखंड देव भूमि अब राक्षस भूमि बन रही है।हम अपने विवेक का प्रयोग नकर दिमाग से सोचने की शक्तियों को भी खोते नजर रहे हैं। देव भूमि में तप त्याग करने वालों को दर किनारे करने के लिए हम आगे आकर असुरक्षित उत्तराखंड का निर्माण
उत्तराखंड देव भूमि को राक्षस भूमि बनाने जा रहें है। इसको रोकने के लिए देश
की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले उत्तराखंड वासियों को अपने विवेक के लिए एवं
उत्तराखंड की रक्षा के लिए अपने अन्दर के हनुमान को जगाने के लिए आगे की जरूरत है। शेष अगली बार पढें।