बुधवार को सचिवालय में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह के साथ ही शासन के उच्चाधिकारियों, आयुक्तो, सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मानसून पूर्व तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जनपदों में डिजास्टर प्रोन एरिया चिन्हित करने के साथ ही बरसात में होने वाले जलजनित बीमारियो की रोकथाम, बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जाय। उन्होंने निर्देश दिये कि हेली कम्पनियो को सख्त हिदायत दी जाय कि वे आपदा के समय त्वरित राहत उपलब्ध कराने में विशेष ध्यान दे। उन्होंने जिलाधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आपदा के समय सभी कार्मिक अपने कार्यस्थल पर उपस्थित रहे। रीवर ट्रेडिंग के साथ ही शहरो की नालियों की सफाई पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
उन्होंने जिलाधिकारियों से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पुलिस चैकी व रेसक्यू सेन्टरों की स्थापना के साथ ही बाढ़ सुरक्षा चैकियां अविलम्ब स्थापित करने को कहा। उन्होंने कहा कि आपसी समन्वय तथा कारगार प्रयासों से आपदा से बचाव में मदद मिल सकती है। उन्होंने जनपद की सभी सड़कों की मरम्मत के साथ ही वैकल्पिक मार्गों की भी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होंने पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली व बागेश्वर के जिलाधिकारियों से यात्रा मार्गों व ट्रेकिंग रूटों पर बादल फटने जैसी घटनाओं पर त्वरित राहत की योजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि ट्रैकिंग के
लिये आने वाले पर्यटकों का स्पष्ट विवरण भी जिलाधिकारियों के पास उपलब्ध रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि कि भू-स्खलन वाले संभावित क्षेत्रों में जेसीबी तैनात की जाए ताकि अधिक समय तक यातायात बाधित न हो। उन्होंनें अधिक समय तक यातायात बाधित रहने की स्थिति में वाहन चालकों को वैकल्पिक मार्गों के बारें में समय से जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वर्षाकाल के दौरान प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के मार्ग निरन्तर खुले रहें,इसकी व्यवस्था बनाए रखने के लिए मार्गों पर जेसीबी मशीने मलवा आदि हटाने के लिए रखी जाए। मानूसन एवं आपदा के दौरान सभी संचार सुविधाएं भी उत्तम तरीके से कार्यरत रहें। आपदा से निपटने के लिए जो उपकरण जिलों एवं तहसीलों को उपलब्ध कराए गए हैं, उनक पूर्वाभ्यास सभी कर्मचारियों को करा दिया जाए
उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान प्रत्येक जनपद में प्रचुर मात्रा में खाद्यान्न एवं गैस का भण्डारण अभी से सुनिश्चित कर लिया जाए ताकि आपदा के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या न होने पाए। उन्होंने कहा कि वर्षाकाल के दौरान पर्वतीय क्षेत्र के दुर्गम ईलाके कट जाने की संभावनाएं बनी रहती हैं,इसलिए पूर्व की भाॅति संवदेनशील क्षेत्रों में 6 महीने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न की व्यवस्था अग्रिम तौर पर की जाए। इसके साथ ही व्यापक मात्रा में जन एवं पशु से सम्बन्धित औषधियाॅ भी भण्डारित कर ली जाए ताकि जरूरत पड़ने पर उनका उपयोग किया जा सके।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिये कि आपदा के दौरान प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखे जाने के लिए नज़दीक के विद्यालय एवं सरकारी भवनों को चिन्हित कर लिया जाए ताकि प्रभावित व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुॅचाया जा सके।
सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने इस सम्बंध में जारी दिशा-निर्देशों का व्यापक प्रस्तुतीकरण के साथ जिलाधिकारियों से उसके क्रियान्वयन पर ध्यान देने के साथ ही इस संबंध में आने वाली समस्याओं की भी जानकारी प्राप्त की सचिव नागरिक उड्डयन श्री दिलीप जावलकर ने जिलाधिकारियों से जनपद में उपयोग में लाये जाने वाले ड्रोन के उपयोग में सतर्कता बरतने के साथ ही इस सम्बन्ध में डीजीसीए की गाइड लाइन का संज्ञान लेने की अपेक्षा की। उन्होंने यह भी अपेक्षा की है कि कोई इस प्रकार के उपकरणों का कोई व्यक्तिगत उपयोग ने करे इसका भी ध्यान रखा जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, श्रीमती राधा रतूड़ी, डीजीपी अनिल रतूड़ी, सचिव श्रीमती भूपिन्दर कौर औलख, नितेश झा के साथ ही, मौसम, पुलिस, बीआरओ, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ ही सभी सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी, आयुक्त व जिलाधिकारी उपस्थित थे।