देहरादून, टिहरी,उत्तराखंड के टिहरीगढ़वाल तहसील प्रतापनगर के पट्टी उपली रमोली सेममुखेम स्थिति स्थान में 26 व27 नवम्बर2019 को लगने वाला प्रसिद्ध मेला व मंदिर उत्तरद्वारिका के नाम से जाना जाता है यह प्रसिद्ध मेला इस मायने में है दूर दराज स्थानीय लोगों के साथ साथ पैदल हिमाचल प्रदेश से 5 दिन का सफर तय करके आते हैं। उत्तरप्रदेश, पंजाब ,हरियाणा ,दिल्ली ,जम्बूकश्मीर के लोग, बिना भय ,भेदभाव कर हजारों लोग श्री भगवान सेमनागराजा राधा कृष्ण के मंदिर में रात्री एवं दिन अपनी मनोकामना पूर्ण होने के साथ साथ आगे की मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं ।यहां भगवान श्री कृष्ण को द्वारिका जब फीकी लगी तब सेम मुखेम स्थान पर उनको मानव कल्याण के लिए अपनी यश कृतियों की लीलाओं को दिखाने मौका मिला।उनके प्रभाव के माध्यम से जन मानस के मन मे भगवान की भगति करने के लिए विश्वास जगाया है।गंगो रमोला जो वहां का राजा था उनकी सन्तान न होने पर वह अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर सकते थे ।वहां भगवान ने अपने लिए स्थान देने के लिए रमोला राजा से आग्रह किया पर वह नहीं माने ।उनका राजपाट समाप्त करने के बाद उन्होंने भगवान को माना उनको पुत्र प्राप्ति हुई ।तबसे श्री भगवान की भगति का प्रचार प्रसार हुआ है।उनकी प्रसिद्धि जगह जगह जाने लगी उनका मेले के रूप में मनाने की संस्कृति विकसित हुई। जो भव्य मेले के रूप में आकार लेने लगा है। पौराणिक ता एवं 20सौं साल से पुरानी जिन श्रद्धालुओं ने अपनी मनोती (उटाणा,सबूत चावल,रुपये के सिखे रखते हैं) के रूप घरों में रखी जाती है ।उनकी मांग पूरी हो जाने पर वह मेले में भेंट चढ़ाने आते हैं ।उनकी इस मेले में चढ़ाने वाली भेंट के रूप में चढ़ाई गई पुराने रुपये पैसे के सिकों को मंदिर समिति के पास देखे जासकते हैं।
भगवान सेम नागराज की पूजा अर्चना के लिए टिहरी रियासत के राजा बोलने वाले बोलांदा बद्रीनाथ के रूप में जाने जाते हैं। महाराजा टिहरी गढ़वाल ने सेमवाल जाति के ब्राह्मण परिवार को रावल पदवी देकर दिया है । श्री बद्रीनाथ केदारनाथ धाम के बाद रावल सेमनागराजा मंदिर के पूजा करने वाले लोगों को दिया है ।भगवान के सेमनागराजा के प्रतिनिधि सेमवाल लोग हैं।जब इलाके के बाहर जाते हैं तो सारे मुलक के सभी फिकवाल लोग सेमनागराजा के प्रतिनिधि हो जाते हैं। उनका कहा हुआ भी सच होजाता है।
भगवान के महात्मा की ज्यादा जानकारी के लिए देखते रहें ukpkg. com समाचार पोर्टल
वहां पर मेंले के प्रचार प्रसार के लिए पैन्यूली जी सन्देश 2005 से 2007 तक एवं पहाडों की गूँज पत्रिका2007 एवं राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्र2011 से संपादक व वहाँ की व्यबस्था को सुधारने के लिए समय समय पर प्रमुखता से प्रकाशित करते रहें हैं। जिसका संज्ञान जन प्रतिनिधि यों, पूर्व जिलाधिकारी सौजन्य बर्तमान सचिव उत्तराखंड शासन एवं सचिन कुर्वे ने लिया था जो आज वहां पर सुभिधा के रूप मे दिखाई दे रहा है।
वहां पर रात्री मे पाले व ठंड से बचने के लिए सरकार जिला प्रशासन आपदा के टेंट ,व ITBP,ssB, के द्वारा भी जनहित को देखते हुए लगाया जाय।स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हुए दवाई पीने के पानी ,सौर ऊर्जा की लाइट,घोड़े डंडी की व्यबबस्था के साथ साथ उनकी दर तय की जाय।
मंदिर में चढ़ाए जाने वाले मखन के लिए दुग्ध उत्पादन समिति का काउंटर ,लगाया जाय ।सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए पर्याप्त पुलिस बल रखा जाए।
गाड़ियों की जाम की व्यवस्था को देखते हुए वहाँ पर सड़क पर से मलबा हटाने का काम किया जाय कुछ जगहों पर नेरो प्वाइंट हैं उनको जे सी बी लगवा कर ठीक किया जाय।
यात्रियों को गर्म कपड़ों के साथ आना है
ऋषिकेश से सुबह 6बजे मुखेम के लिए सीधी बस सेवा है मंदिर तक 200 कि मि बस टैक्सी से 3 किमी पैदल दूरी पड़ती है । नटराज बाई पास से टैक्सी चम्बा लम्बगांव तक 230₹किराये प्रति सवारी टैक्सियों से लेजाते हैं।उसके आगे लोकल टैक्सी सेवा है। श्रीनगर गढ़वाल से लम्ब गावँ कोडार तक बस सेवा व उत्तरकाशी से कोडार बस टैक्सी सेवा है कोडार से मुखेम मडबागी तक टैक्सी ,जीप से जासकते हैं ।रहने के लिए गावँ में स्थान मिल जाता है साथ ही श्री कुलानंद ब्रह्मचारी महाराज द्वारा संचालित श्री सेमनागराजा सेवा समिति में निशुल्क भोजन रहने की व्यबबस्था है। वहाँ दानियों के द्वारा धर्मशालाओं का निर्माण कार्य किया गया है जिसका संचालन महाराज जी करते हैं।
गाड़ियों, घोड़े, डंडी कंडी,खाद्य सामग्री की दर चस्पा कर समाचार पत्रों, सोसियल मीडिया में प्रकाशित
करने के लिए जिला प्रशासन से जनता मांग करती है कि अपने स्तर से यथा शीघ्र लोनिवि ,जिला पंचायत,विधुत जलसंस्थान, स्वास्थ्य विभाग खाद्य विभाग ,परिवहन विभाग को अपने स्तर व्यबबस्था के लिए कर्यवाही करते हुए मेले में भव्यता लाने के लिए कर्यवाही करें।