?आज 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस है?”
?मित्रों आज तुलसी का पौधा अवश्य लगायें घर में ,कहीं ऐसा न हो कि केवल क्रिसमस -ट्री सजाने की तैय्यारी के चक्कर में अपनी गौरवशाली संस्कृति ही भूल जायें …
हिन्दू धर्म के विशाल हृदय के अनुसार हर धर्म का सम्मान करें पर अपनी विश्वगुरू संस्कृति को त्यागकर नहीं..
सरल तुलसी पूजन-विधि (अपने घर में करें)
सामग्री:
?तुलसी का पौधा ।पीला या लाल वस्त्र
?गमला, मिट्टी
?थाल , गिलास या कटोरी, रोली- चंदन,या कुमकुम, तुलसी दल, कलावा, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, फूल , फल , मेवे,गंगाजल, अक्षत आदि।
पूजन विधि
सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें…
घर में अगर तुलसी का पौधा नहीं है तो नीचे दिए मंत्र बोलते हुए गमले में तुलसी रोपें फिर पीले या लाल वस्त्र से ढकें…
महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी।आधि व्याधि हरा नित्यम् तुलसी त्वाम् नमोस्तुते।
आचमन:-निम्न मंत्र पड़ते हुए तीन बार चम्मच से आचमन करें
ॐ केशवाय नमःॐ नारायणाय नमः
ॐ माधवाय नमःॐ गोविंदाय नमः
स्वयं पर जल छिड़कें:
मंत्रः
ॐ अपवित्रःपवित्रो वा* *सर्वावस्थां गतोऽपि वा,
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः
सभी लोग तिलक, कुंकुम लगायें कुंकुम रोली फूलअर्पित कर गणेश जी का स्मरण व पूजन करें..??
संकल्प करें:- हाथ में अक्षत-पुष्प व जल लेकर सभी संकल्प करे – ‘ इस पावन दिवस पर हम तुलसी-पूजन कर रहे हैं, इससे हमारा कल्याण हो ।(अपनी मनोकामना)
फिर अक्षत व पुष्प लेकर तुलसीजी पर धीरे धीरे अर्पण करते जायें ।
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके
तुलसी पर अक्षत चढाये
ॐ भगवत्यै तुलस्यै नमः
ॐ विष्णुवल्लभायै नमः
एक चम्मच जल चढ़ाये
ॐ तुलसी दैव्यै नमः ।पाद्यं समर्पयामि
आचमन :-
ॐ दैत्यान्तकृत्प्रियायै नमः ।आचमनं समर्पयामि
स्नान :- जल चढायें
स्नानार्थे जलं समर्पयामि
वस्त्र :-, वस्त्र कलावा (रक्षासूत्र) चढाये
ॐ लक्ष्मीसहोदरायै नमः
रोली चंदन का तिलक करे।पुष्प चढाये
ॐतुलस्यै नम:
ॐ रमावासायै नमः
धूप :- धूप जलायें जला दीपक दिखाये
ॐ पापहारिण्यै नमः
नैवेद्य च‹ढाये फल (केला, चढाये
ॐ अमृतसम्भूतायै नमः
दक्षिणा चढाये
ॐ अमृतरूपिण्यै नमः
तुलसीजी की आरती करें पष्पांजलि सारे पुष्प चढाये
ॐ परमेश्वर्यै नमः
तुलसी नामाष्टक का पाठ करें ..
वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ,
पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ,
एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ,
यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत,
(वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं..)
? जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है..
( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :२२.३२-३३)प्रदक्षिणा :- तुलसी की ७ परिक्रमा करें ..
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च,
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे ..क्षमा प्रार्थना ।आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्,
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि,
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि,
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे….कलावा बाधें :
येन बद्धो बलि राजा दान्वेन्द्रो महाबलः,
तेन मे त्वं बंध्यामि रक्षे माचल माचलः….
पँ॰राजन डिमरी