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सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश चेलमेश्वर का अपनी विदाई सम्मारोह में ना जाना

Pahado Ki Goonj

जस्टिस चेलमेश्वर का अपनी विदाई सम्मारोह में ना जाना देश मे अधिकार की सीमा को ठेस पहुंचाना लगता है
विदाई सम्मारोह करो अब किसका करोगे
विदाई सम्मारोह सही मायने में उनकी प्रशंशा का होता है ओर आत्मा अन्दर से प्रसन्न होकर अपने जीवन को धन्य मानती है

अब सेवा में क्या क्या दबाव हैं जो आदमी व्यक्त क्यों कैसे अपने जीवन को देखते हुये नहीं कर पाता है

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