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6 मार्च को होलिका दहन 8 मार्च को वसंतोत्सव-डॉ इंदुभवानंद

Pahado Ki Goonj

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देहरादून, भारत को  विश्व में भारत  माता के नाम से जाना जाता है  य़ह  इकलौता देश है जिसको  माँ का श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त है  ।वह हमारे देश में  प्रत्येक व्यक्ति को संस्कार बनाने की परंपराएं देश की संस्कृति  में रची बसी है। हमारे वेद  ,पुराण, शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान के नाम  जपने, उनके प्रति आस्था रखने वाले लोगों को श्रीकृष्ण भगवान रक्षा करते हैं। होलिका दहन करने के त्योहार के  पीछे भी हमे सदैव  संस्कार  बान रहने की शिक्षा देता है  ।इस वर्ष होली  नक्षत्रों को लेकर  मनाया इस  प्रकार से  है काली हल्दी, काले चावल के लिए अग्रिम धन राशि प्रदान करने की कृपा  कीजिएगा patam no 9456334283

इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 15 मंगलवार को 28 घटी 41 पल सायंकाल 5:39 पर समाप्त हो रही है तथा इसी दिन सूर्यास्त 5:55 पर हो रहा है मंगलवार को पूर्णिमा सूर्यास्त काल में नहीं है, तथा पूर्व दिन सोमवार को चतुर्दशी तिथि 24 घटी 23 पल दिन में 3:56 पर समाप्त होकर पूर्णिमा तिथि लग रही है इसी दिन रात्रि पर्यन्त भद्रा है। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार को प्रदोष काल में पूर्णिमा के न मिलने के कारण पूर्व दिन सोमवार दिनांक 6/ 3 /2023 को रात्रि भद्रापुच्छ में 12:23 से रात 1:35 के मध्य अर्थात तीन घटी 72 मिनट में होलिका का दहन करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार “भद्रामुखं वर्जयित्वा”भद्रा का मुख छोड़कर पुच्छ में “तिस्र:पुच्छे तु नाडिका” वचनानुसार रात्रि 12:23 से 1:35 तक भद्रा पुच्छ में “पुच्छे ध्रुवो जय:” होलिका दहन होना चाहिए क्योंकि प्रतिपदा तिथि को, भद्रा में, और दिन में होलिका के दहन का विधान नहीं है। पूर्णिमा की रात्रि में प्रदोष काल में ही होलिका दहन का विधान प्राप्त होता है किंतु इस वर्ष विषम स्थिति आ जाने के कारण भद्रा पुच्छ में भी होलिका दहन किया जा सकता है अतः शास्त्रीय वचन का पालन करते हुए भद्रा पुच्छ में ही होलिका दहन करना चाहिए।
“प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।
तस्यां भद्रामुखं त्यक्तवा पूज्या होला निशामुखे।।”
प्रतिपद्भूत भद्रासु याऽर्चिता होलिका दिशा।
संवत्सरं च तद् राष्ट्रं पुरं दहति साद्भुतम्।।”

आदि प्रमाणों के अनुसार 6/3/ 2023 सोमवार रात्रि 12: 23 से 1:35 के मध्य होलिका दहन करना चाहिए।
दूसरे दिन 7/3 /2023 को मंगलवार को पूर्णिमा है अतः पूर्णिमा के दिन होलिका नहीं खिलाना चाहिए शुद्ध प्रतिपदा तिथि में ही होलिकोत्सव बसंतोत्सव मनाना चाहिए।
अतः 6 तारीख की रात्रि में होलिका दहन होगा तथा 8 तारीख को होली खेली और मनाई जाएगी।

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