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शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने मंदिर मकान का कार्य प्रारंभ नहीं होता-जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज

Pahado Ki Goonj

सनातन धर्म के मूल आधार वेद हैं। वेदों के अनुसार किए गए कर्म यज्ञ कहे जाते हैं जो पूर्णतया काल गणना पर आधारित हैं। काल गणना और कालखंड विशेष के शुभ-अशुभ का ज्ञान ज्योतिष् शास्त्र से होता है। इसीलिए ज्योतिष् को वेदांग कहा गया है।इसीलिए सनातन धर्म का प्रत्येक अनुयायी अपने कार्य उत्तम कालखंड में आरंभ करते हैं जिसे शुभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।

मुहूर्त वैसे तो दो घटी अर्थात् 48 मिनट का एक कालखंड है जो सूर्योदय से आरंभ होकर दिन के छोटे-बड़े होने के कारण 15 या 16 बार दोहराता है और ऐसा ही रात्रि में भी होता है। अतः एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच के अंतराल में 30-32 मुहूर्त होते हैं। शुभ मुहूर्त को मुहूर्त चिंतामणि में क्रियाकलापप्रतिपत्ति हेतुम् कहकर कार्य सिद्धि में कारण माना गया है।

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अपने हर छोटे-बड़े कार्य को शुभ मुहूर्त में सम्पन्न करने वाला सनातनी समाज आज दुःखी है कि पूरे देश के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र राममन्दिर बिना शुभ मुहूर्त के आरंभ होने जा रहा है – जैसी कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से आगामी 5 अगस्त 2020 को शिलान्यास की घोषणा की गई है। विदित हो कि 5 अगस्त 2020 को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है।
विष्णु धर्म शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है कि प्रोष्ठपादे विनश्यति माने भाद्रपद मास में किया गया शुभारंभ विनाश का कारण होता है।

वास्तु शास्त्र का कथन है कि भाद्रपदे न कुर्यात् सर्वथा गृहम् । दैवज्ञ बल्लभ नाम के ग्रंथ में कहा गया है कि निः स्वं भाद्रपदे अर्थात् भाद्रपद में किया गया गृहारंभ निर्धनता लाता है। वास्तु प्रदीप भी इसी बात को अपने शब्दों में हानिर्भाद्रपदे तथा में कहता है। वास्तु राजबल्लभ का वचन भी देखिए जो शून्यं भाद्रपदे अर्थात् भाद्रपद का आरंभ शून्य फल देता है , कहकर भाद्रपद में इसका निषेध करता है। यह भी कहा जा रहा है कि उस दिन अभिजित मुहूर्त होने के कारण शुभ मुहूर्त है, लेकिन यह बात वही कह सकता है जिसे इस बारे में कुछ भी पता न हो।

क्योंकि थोड़ी ज्योतिष् जानने वाले भी जानते हैं कि बुधवार को अभिजित निषिद्ध है। मुहूर्त चिंतामणि के विवाह प्रकरण में बुधे चाभिजित्स्यात् ..मुहूर्ता निषिद्धाः कहकर बुधवार को अभिजित् का सर्वथा निषेध कर दिया है।

यह कहना भी बरगलाना ही है कि कर्क का सूर्य रहने तक शिलान्यास हो सकता है जबकि श्रावणे सिंहकर्क्योः यह अपवाद श्रावण महीने तक के लिए है, भाद्रपद के लिए नहीं। जबकि 5 अगस्त को भाद्रपद महीना है,

श्रावण नहीं।इसी के आगे के श्लोक में कहा है भाद्रे सिंहगते माने कुछ विद्वानों का मत है कि भाद्र में सिंह राशिगत सूर्य हो तो हो सकता है पर इन कुछ विद्वानों के मत में भी कर्क के सूर्य होने पर भाद्रपद में भी शिलान्यास गृहारंभ नहीं बनता है।

इसलिए इस घोषित तिथि में शुभ मुहूर्त कत्तई ना होने के कारण इस अवसर पर किया गया आरंभ देश को बड़ी चोट पहुंचाने वाला हो सकता है।स्मरण रहे कि काशी में विश्वनाथ मंदिर के आस-पास के मंदिरों को तोड़ते समय भी हमने चेताया था कि यह कार्य पूरे विश्व को समस्या में डालेगा पर बात अनसुनी करने का परिणाम सब लोग देख रहे हैं।अगर अयोध्या जी में आराधना स्थल अर्थात् मंदिर बनाया जाना है तो उसे शुभ मुहूर्त में शास्त्र विधान के अनुसार ही बनाया जाना चाहिए। पर ऐसा न करके मनमानी किए जाने से यह आशंका स्पष्ट हो रही है कि वहां मंदिर नहीं संघ कार्यालय बनाया जा रहा है।

#जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज

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देश में  शास्त्र,धर्म ,लोकतंत्र की मर्यादा पर गोदी मीडिया से खतरा मंडराने लगा है।अब लोकतंत्र असुरक्षित है।

 

सभी पत्रकारों भाईओं के लिए एक दुख भरी खबर है।गाजियाबाद से जनसागर टुडे दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार विक्रम जोशी की अस्पताल में मौत हो गई है।यह मौत इस पत्रकार की नहीं,बल्कि कानून व्यवस्था की मौत है!क्या अपराध की सूचना देना गुनाह है।अपनी भांजी से हुयी छेडछाड़ की शिकायत करना इस पत्रकार को इतना भारी पड़ा कि बदमाशों ने उसे मृत्यु के घाट उतार दिया।तीन- चार दिन पहले पत्रकार द्वारा थाना में शिकाया देने के बाद भी नही हुयी कोइ कारवाई।सवाल ये उठता है कि लगातार पत्रकार द्वारा शिकायत दिये जाने के बाद भी गाजियाबाद पुलिस ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गये कानून सब हवा हवाई सा प्रतीत होता है।चौथे स्तम्भ पर लगातार हो रहे हमले से एक पत्रकार जगत में भय का माहौल है वही दुसरी ओर आम जनता को तो राम भरोसे ही समझो।

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