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कोरोना महामारी में मोबाइल से सोसियल मीडिया जान की बाजी लगा कर प्रदेश एवं देश की सेवा कर रहा है -जीतमणि पैन्यूली

Pahado Ki Goonj

 देहरादून,लिखवार गावँ,आज हनुमान जयंती पर आप को नई शक्ति भगवान महाबीर दे इसी कामना के साथ आपकी बात को आपके संघर्ष को सामजिक मान्यता प्राप्त करने के लिए एक जुट होकर कहने का साहस बढ़ाने के लिए जनकारी से रूबरू होना है ।

किउत्तराखंड  और अन्य प्रदेशों में मोबाइल से सोसियल मीडिया ही जान जोखिम में डाल कर प्रदेश एवं देश की सेवा कर रहा है ।

यह जन संचार का सबसे बड़ा हथियार है ।जहां करोड़ करोड़ रूपये के टी वी चेनल वाले लोगों को विज्ञापन तो उनके दिखवा ओर रॉब दाब के चलते या यूँ कहे कि उनके आर्ट ऑफ अर्निंग की कला से सरकार रोज उनको दे रही है।

पर यदि उनके कार्य की सच्चाई से वाकिफ सरकार होना चाहती है तो वह जो अपने टी वी पर दिखते हैं वह न्यूज पोर्टल वेब चेनलों की बासी खबर हो जाती है।वहीं टी वी चैनल दर्शकों से पैसे लेकर खबरों को बेचने का काम करते हैं।जबकि न्यूजपोर्टल वेब चैनल  यह सेवा निशुल्क लोगों तक चेनलों से पहले पहुंचा देता है।

साथ ही इनमें विदेशी निवेश के चैनल हमारे देश मे रुपये कमाने के अलावा उनके पास  गरीबी रेखा से ऊपर उठाने ,60 करोड़ लोग रोज देश में भूखे सोत हैं, देश की 70  प्रतिशत आवादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती हैं। पलायन वहीं से रोका जा सकता है,निजी स्कूलों, में बच्चों गार्जनो का शोषण होरहा है, देश में

अर्थव्यवस्था मजबूत करने के उपायों ,देश मे अनुसंधान संस्थानो के बजट में बढ़ोतरी करने, सबको आवश्यक शिक्षा दिलाने ,चिकित्सा सुभिधा बेहतर, दवाओं के उत्पादन,पलायन रोकने,कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार गारंटी के अबसर हैं, देश में दूध की कमी को दूरकरने के लिए, विदेशी मुद्रा बचाने के लिए सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली मशीनो,उपकरणों के विकास के लिए किसी जनसरोकार के विषयोंपर कभी भी बहस नहीं होती है।

बहस में उनके हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने का है।

आज यह आलम है कि प्रदेश, देश मे देश का  न्यूज पोर्टल ,लघु समाचार पत्रों के मीडिया  में काम स करनेे वाले अपने देश के नागरिक गलत नीतियों के शिकार होकर रह गए हैं

ववििदेशी चेनलों  को सरकार की दरियादिली से उनके  प्रबंधन के सामने ,देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों के वंशज उनके साथ गुलाम देश मे भी ऐसा व्यबहार नहीं किया गया है।

यह आज लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के साथ होगया, खबरों को देखते हुए उन्हें जान गवाने के लिए  लखनऊ

में पत्रकार को मौत के घाट उतारा गया है। कोई बोलने वाले नहीं हैंं।लोग में जमीर मारडिया है।अब सरकार सेे जो खबरों के लिए रुपये ले रहे हैं।उनको महीनो में करोड़ों रुपये जनता की गाड़ी कमाई का विज्ञापन केे दिया जाता है।

और जिनके द्वारा निशुल्क खबरों को इन चेनलों से पहले जनता तक पहुंचा दिया जाता है ।उनको सच्ची देश सेवा करने के लिए रोटी के लाले पड़ रहा है।यह हमारे लोकतंत्र  में चौथे स्तम्भ की असली तस्बीर है।

जब देश के हित की बात स्थानीय मीडिया जबरदस्त उत्साह से उठाया करता है ।,तो उनको सुभिधा के नाम पर आजकल पुलिस के डंडे ,दमगो की गोली मारकर हत्या करने में अपनी जान देने के लिए आगे बढ़ कर अपना साहस से देश सेवा में अपना स्वधर्म निभाने का काम करने में लगा है।

पत्रकार के पास अक्सर अपने बात कहने के लिए वह व्यक्ति आता है जो न्यायालय, प्रशासन, विधायिका से अपनी मददगार साबित करने में अपने को असाय महसूस करने लगता है।उनकी परेशानी की बात का

संज्ञान  बड़े बैनर में काम करने वाले कर्मचारी मन रखने के लिए ले लेते हैं ।पर वह जानता है कि यह उसका मालिक नहीं प्रकाशित करेगा।उनका भी मन भी अपने संस्थान के प्रति सोचने के लिए मजबूर होता है कि हम सही पत्रकार के रूप मे जनता की सेवा नहीं कर सकते हैं वह इस लिए है कि उनका मालिक कोई और हैं।

उनके ऊपर जब उनके मालिक मनमानी करने लगते हैं तो वह समय उनकी परीक्षा का समय होता है।उस समय वहीं के पत्रकार काम करने वाले सोसियल मीडिया के माध्यम से अपनी मांग अपने मालिक तक पहुँचाया करते हैं।आज जो भी जेलों की सलाखों में है वह छोटे लघु समाचार पत्रों के बदौलत लोकतंत्र की रक्षा के लिए चौथा स्तम्भ के नाते देश में जिंदा है,करने का काम हर जगह किया जारहा है।

प्रथम श्रेणी के पोर्टल का प्रतिमाह लगभग 70000 से ऊपर का खर्चा हैं। उत्तराखंड की बात करते हैं तो यहां अपनी दुकान चमकाने वाले नेताओं के पिछलग्गू मुखोटा नारद जी का और  लक्ष्मी जी को प्राप्त करने के लिए शरीर बिष्णु भगवान का धारण करने वाले  लोगों कि जमात के कौरवों की सेना अपने कुल के नास करने के लिए तैयार रहती है।उनसे अपना भला करने के लिए संघठनो के नाम की कई प्रकार की चटनी मसाला स्वाद लेने के जैसे पेट पूजा करने के लिए संगठनों से जुड़े हुए हैं।

यहां पिछले साल से  न्यूज पोर्टल वेब चैनलको प्रभावित किया जारहा है। जबकि जनसरोकार के मुद्दे न्यूजपोर्टल वेब चैनल सबसे पहले अपने सीमा में रहते हुए जनसरोकार के लिए सरकार, जनता को सजग रहने के लिए अपनी जान की बाजी लगा कर  करते है।और यह कारगर हथियार जन सेवा में साबित हो रहा है।राज्य एवं देश में केदारनाथ धाम की आपदा हो या केरल की सुनामी हो उनमें सोसियल मीडिया, मोबाइल फोन का बड़ा योगदान रहा है।

राज्य में अभी तक कोरोना के कुल 31 मरीज मिल चुके हैं। इसमें से सभी ऐसे हैं जो राज्य के बाहर से संक्रमित होकर उत्तराखंड पहुंचे। किसी को भी खुद के पॉजीटिव होने की जानकारी नहीं थी। कुछ लोग बीमार होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की पकड़ में आए जबकि अधिकांश संक्रमित लोगों की चपेट में आने की जानकारी मिलने के बाद। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के लोगों को फोन या मोबाइल के जरिए ही मिल पाई है।

कुल 31 में से 18 ऐसे मरीज हैं जिनके सैंपल मोबाइल ट्रेस के आधार पर मिली सूचना के बाद लिए गए और वह कोरोना पॉजीटिव निकल गए। । राज्य में कोरोनो संक्रमण फैलने से बचाने में मोबाइल सबसे कारगर हथियार साबित हो रहा है। फोन ही वह जरिया है जो हमे संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जानकारी दे रहा है। आज पुलिस और मेडिकल सर्विलांस मोबाइन नम्बरों को ट्रेस कर ही लोगों को कोरनटाइन के लिए चिह्नित कर रही है। मोबाइल की ही बदौलत राज्य अभी तक कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बचा हुआ है।उत्तराखंड में ज्यादा विषम  भौगोलिक स्थिति को देखते हुए परिस्थितियों के अनुकूल मोबाइल सेवाओं से देश की आपदा प्रबंधन को सफल बनाने का काम  पत्रकार साथियों द्वारा किया गया है ।राज्य सरकार को    वेब मीडिया के लिये 75 हजार एवं केंद्र सरकार को 25हजार रुपए/माह का विज्ञापन देने की नीति बनाने कीआवश्यकता है।ताकी वह अपने सीमित संसाधनों प्रदेश एंव देश की सही सेवा कर लोकतंत्र को मजबूत बनाने रखने में अपना योगदान देता रहे।सकारात्मक सोच से देश हित के लिए बहस हो सके।अब देखना है कि पत्रकारिता में काम करने वाले लोगों में सरकार तक पहुंचा देने में कितना समय लगता है। सही स्वछ पत्रकारिता करने वाले बन्दुओं को  महामारी से निबटने के बाद सँघर्ष करना ही होगा। लगता है स्वच्छ लोकतंत्र के यही नियति लोकतंत्र में जीवित रहने के लिए बीच हुई है।

कोरोना-19 महामारी रोकने के लिए दूरियां बनाकर रखें गरम पानी का सेबन करते रहे।सरकार, स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दीगई जानकारी का अनुसरण करते रहें।

 

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