HTML tutorial

आज सुहागनों के लिए सौभाग्य का प्रतीक हरतालिका तीज की व्रत विधि जानिए

Pahado Ki Goonj

देहरादून। पहाड़ों की गूंज विशेष, ताल‍िका तीज  की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्‍दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्‍म्‍य बहुत ज्‍यादा है
 हरियाली तीज  और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज के दिन भी गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं। यही नहीं रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं।  मान्‍यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। यह त्‍योहार मुख्‍य रूप से उत्तराखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को गौरी हब्‍बा) के नाम से जाना जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। यह तीज भादो माह की गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले आती है। ग्रेगारियन कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज हर साल अगस्‍त या सितंबर के महीने में पड़ती है। इस बार हरताल‍िका तीज की तिथि को लेकर काफी असमंजस है। व्रत किस दिन रखा जाए इस बात को लेकर पंचांग के जानकार और ज्‍योतिषियों में भी मतभेद है। 
कुछ जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए क्‍योंकि तब दिन भर तृतीया रहेगी. तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्‍त नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है. वहीं कुछ का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए। उनका मानना है कि चतुर्थी युक्‍त तृतीया को बेहद सौभाग्‍यवर्द्धक माना जाता है। ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्‍त है। हमारी राय में आप पहले अपने पंडित जी या ज्‍योतिषि से हरतालिका तीज की तिथि की पुष्टि कर लें और उसी के हिसाब से व्रत करें।

हरतालिका तीज की पूजन विधि 
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती हैरू 
– संध्‍या के समय फिर से स्‍नान कर साफ और सुंदर वस्‍त्र धारण करें. इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं. 
– इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं.  
– दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं.
– सुहाग की सामग्री को अच्‍छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें. 
– शिवजी को वस्‍त्र अर्पित करें. 
– अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें. 
– इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें. 
– अब भगवान की परिक्रमा करें. 
– रात को जागरण करें. सुबह स्‍नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्‍हें सिंदूर चढ़ाएं. 
– फिर ककड़ी और हल्‍वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें.
– सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें.

Next Post

तांशी आर्ट्स स्टूडियो की पहली सालगिरह

https://youtu.be/4-DkOMOq5Dk Post Views: 428

You May Like