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भारत में शिक्षा किस दिशा मे बढ़ रही है,सत्ताधारी मुफ़्त शिक्षा की जगह शिक्षा का व्यापार क्यों कर रहे हैं -राजेश्वर पैन्युली

Pahado Ki Goonj

भारत में शिक्षा किस दिशा मे बढ़ रही है सत्ताधारी मुफ़्त शिक्षा की जगह शिक्षा का व्यापार क्यों कर रहे हैं 

एक तरफ़ दुनिया के सारे विकास सील देश या विकसित देश, शिक्षा निशुल्क ( Free) या कहिये अपने सभी नागरिकों को शिक्षित करने की तरफ़ बढ़ रहे है ,जिससे की वो लोग देश को विकास की तरफ़ ले जा सकें। वही हमारी सरकार क्या कर रही है ? लोगों को अच्छी शिक्षा से वंचित करने की तैयारी ??
2004 मे डाक्टर मुरली मनोहर जोशी उस समय के समय शिक्षा मंत्री ने IIM फ़ीस कम की और ये कहा कि यह उच्च शिक्षा पर अमीरों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए।
2009 मे डाक्टर मनमोहन सिंह उस समय के PM ने शिक्षा का अधिकार ( Right to Education) अधिनियम लाये और नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के महत्व को समझते हुए उसे वेधानिक रूप रुप देने की कोशिश की ,शिक्षा को हर बच्चे का मौलिक अधिकार बनाने के लिए 135 देशों में से एक बन गया था l
2014 मे जर्मनी ने सब शिक्षा फ़्री की.. जर्मनी के 16 राज्यों ने सभी सार्वजनिक जर्मन विश्वविद्यालयों में स्नातक छात्रों के लिए शिक्षण शुल्क समाप्त कर दिया।

इसका मतलब यह है कि वर्तमान में जर्मनी में सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्नातक दोनों स्वतंत्र रूप से अध्ययन कर सकते हैंl
यहाँ तक की हमारे पडोसी देश भुटान जो एक बहुत ही गरीब देश है lवहां भी शिक्षा फ़्री है और आधुनिक बनायी जा रही है वो भी सरकारी खर्चे पर. .

पर अपने यहाँ श्री अम्बानी जी के रिलाइन्स ग्रुप का “जियो विश्वविद्यालय” (University) जो अभी बनी भी नहीं है उसे उत्कृष्ट का दर्जा (Government Tag of ‘Eminence’ )दे दिया गया l
जो बना भी नहीं उसे भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों की श्रेणी ने रखा जा रहा है | जिससे की वो अमीरों के बच्चों को तो और आगे बढा सकें , मगर गरीब के बच्चे के पास तो इतनी फ़ीस देने की क्षमता होगी नहीं.. .
उत्तराखण्ड मे आयुर्वेद से ले कर एमबीबीएस (MBBS) वालों की मनमानी फ़ीस बढाई जा रही है| एसा नहीं की सिर्फ उत्तराखण्ड मे ही एसा किया जा रहा हो. सब जगह किसी ना किसी बहाने फ़ीस बढाई जा रही है. प्राईवेट कॉलेज वाले मनमानी कर रहे है .गावँ मे शिक्षक स्थाई हो या अस्थायी हों नियुक्त नहीं किये जा रहे हैं.और राज्यों मे भी वही हाल हैं .कुछ नेताओं की पत्नियां शिक्षिका हैं. वो अपने घर मे है और सरकार से वेतन भी ले रही हैं l पहाड़ के गाँव मे स्कूल बन्द किये जा रहे हैं ये कह कर कि छात्र नहीं है. पर सरकार ये नहीं बता रही की दरअसल ना शिक्षक हैं ना सुविधा है पढाने की… लगता है कि वर्तमान सरकार केन्द्र की हो या राज्य की वो शिक्षा को व्यापार बना रहे हैं..इस देश में इतने गरीब और प्रतिभावान युवा और बच्चे हैं, वो कैसे पढेगे और देश की तरक्की मे केसे कुछ कर पायेंगे. वो कोई नहीं सोच रहा .. गावँ गावँ शराब तो पहुँचाई जारही है मगर शिक्षा नहीं ..
.तो हम देश को आगे बढा रहे है की उस तरफ़ जा रहे जहाँ अनपढो की फौज हो .जो सिर्फ़ अपने राजनैतिक आकाओ की गुलाम हो जाये . जिससे कि सत्ताधारीयों की राजनीति चलती रहे . देश के युवा चाहे फ़िर बेरोजगार क्यों ना हो जाए क्योंकि बेरोजगार, कम शिक्षित लोगों का शोषण आराम से किया जा सकता है…
क्या आपको नहीं लगता की शिक्षा हमारा अधिकार है..
..IIT/ IIM / Medical College आदि भी इसी देश के सत्ता धारीयों ने बनाया था वो भी तब जब देश विकास की शुरूकी अवस्था मे था तो अब एसा क्या हो गया कि सत्ताधारी मुफ़्त शिक्षा की जगह शिक्षा का व्यापार क्यों कर रहे हैं …
सोचियेगा जरूर ..CA राजेश्वर पैन्युली

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