नई टिहरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए देशभर में शहर-कस्बों को खुले में शौच से मुक्त करने की कवायद चल रही है। सरकारों के साथ ही छात्र-छात्राएं और सामाजिक संगठन लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं। लेकिन, विद्यालयों में शौचालय ही न हों तो फिर इस जागरूकता के क्या मायने रह जाते हैं। गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्र में तो सरकारी विद्यालयों का यही हाल है। यहां जो छात्र-छात्राएं स्वच्छता को लेकर रैलियां निकाल रहे हैं, उन्हें स्वयं शौचालय के लिए जूझना पड़ रहा है। बात टिहरी जिले की ही करें तो यहां 88 प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों में आज तक शौचालय बने ही नहीं। हैरत देखिए कि शिक्षा विभाग भी इस ओर बेखबर है।
गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए विद्यालयों में बिजली-पानी के साथ ही शौचालयों का होना भी अनिवार्य है। लेकिन, टिहरी जिले में शिक्षा विभाग के लिए शायद इसके कोई मायने नहीं। यही वजह है कि जिले के 88 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आज तक शौचालयों का निर्माण नहीं हो पाया। यही नहीं, जिन विद्यालयों में शौचालय हैं भी, वहां या तो पानी का संयोजन नहीं है या फिर वर्षों पुरानी जर्जर पेयजल लाइनों के सहारे गुजर करनी पड़ रही है। विडंबना देखिए कि इन लाइनों पर पानी की सुचारु आपूर्ति भी नहीं होती। ऐसे में शौचालयों का होना-न होना बराबर है। जिले में ऐसे ही 356 विद्यालय हैं, जहां पानी उपलब्ध न होने के कारण शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा। सोचिए! इस हाल में क्या जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का सपना वास्तव में साकार हो पाएगा।
जिले में शौचालय विहीन विद्यालय
विकासखंड————-विद्यालयों की संख्या
देवप्रयाग——————-31
भिलंगना——————-22
कीर्तिनगर—————–20
जाखणीधार—————-06
थौलधार——————–06
प्रतापनगर—————–03
इतने विद्यालयों में नहीं पानी की सुविधा
विकासखंड———विद्यालयों की संख्या
भिलंगना—————-73
नरेंद्रनगर—————-52
प्रतापनगर—————46
देवप्रयाग—————-44
जाखणीधार————-37
जौनपुर——————36
थौलधार—————–33
कीर्तिनगर—————20
चंबा———————-15
जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक), टिहरी गढ़वाल सुदर्शन बिष्ट का कहना है कि छूटे विद्यालयों में शौचालय निर्माण की स्वीकृति तो मिली चुकी है, लेकिन अब तक इसके लिए बजट उपलब्ध नहीं हो पाया। बजट मिलते ही प्रथमिकता से शौचालयों का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।
अन्य पर्वतीय जिलों की स्थिति
- चमोली जिले में सिर्फ जोशीमठ विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय लौंग में अपना शौचालय नहीं है।
- पौड़ी जिले के कुल 1566 प्राथमिक विद्यालयों में से 79 में पानी न होने से शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा। इसी तरह 44 हाईस्कूलों में भी पानी न होने से शौचालय बंद पड़े हैं।
- उत्तरकाशी जिले के 732 प्राथमिक विद्यालयों में से 152 शौचालय विहीन हैं। जबकि, 443 उच्च प्राथमिक व इंटर कॉलेजों में से 51 में शौचालय नहीं हैं।
- रुद्रप्रयाग जिले के 549 प्राथमिक विद्यालयों में से 105 में पानी न होने के कारण शौचालय बंद पड़े हैं। जबकि, 146 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से 20 में पानी नहीं है।