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प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवंर्द्धन के लिए सीएम धामी ने दिए निर्देश जानिए सभी समाचार

Pahado Ki Goonj
  • प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवंर्द्धन के लिए सीएम धामी ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री ने जल संचय और जलधाराओं के पुनर्जीवीकरण पर जोर दिया

 देहरादून, मुख्यमंत्री श पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में सिंचाई, लघु सिंचाई और ग्रामीण निर्माण विभाग की गेम चेंजर योजनाओं की समीक्षा बैठक के दौरान प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवंर्द्धन के लिए वृहद स्तर पर कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जीवन और समृद्धि का आधार जल है, इसलिए जल संचय और जलधाराओं, गाड़-गदेरों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में निरंतर प्रयास किए जाएं।

*शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचय के लिए मिलकर कार्य करें*
मुख्यमंत्री ने सिंचाई, लघु सिंचाई विभाग और नगर निगमों को शहरी क्षेत्र में वर्षा जल संचय के लिए मिलकर कार्य करने की बात कही। उन्होंने ग्राउंड वाटर रिचार्ज पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कार्यों के लिए पुरानी पंरपराओं को छोड़कर नवाचार पर विशेष ध्यान दिया जाए।

*जमरानी और सौंग बांध परियोजनाओं में तेजी लाने के निर्देश*
सिंचाई और लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने जमरानी और सौंग बांध परियोजनाओं में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ड्रेनेज की समस्याओं के समाधान के लिए तेजी से कार्य किए जाएं और चैक डेम के निर्माण की दिशा में भी कार्य किए जाएं।

*सिंचाई नहरों के अधिकतम लाभ मिले*
मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि सिंचाई की नहरों का अधिकतम फायदा लोगों को मिले। साथ ही राज्य के विभिन्न शहरों के ड्रेनेज प्लान के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग और खनन विभाग को नदियों और जलाशयों में जमा सिल्ट/गाद की निकासी के लिए बैठक आयोजित कर उचित समाधान निकालने के निर्देश दिए।

बैठक में यह जानकारी दी गई कि जमरानी बांध बहुद्देशीय परियोजना को मार्च 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना में 3638 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत है, जिसमें से 678 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। सौंग बांध परियोजना पर भी कार्य गतिमान है, जिसका लक्ष्य मार्च 2030 तक पूरा करना है।

बैठक में यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री ग्राम सम्पर्क योजना के तहत 61 सड़कों पर कार्य चल रहा है।

बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव श्री विनय शंकर पांडेय, सीपीपीजीजी के एसीईओ श्री मनोज पंत, उप सचिव श्री अजीत सिंह,  प्रदीप मोहन नौटियाल तथा संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर 22 मार्च से 25 मार्च तक सभी जिला मुख्यालयों में और 24 मार्च से 30 मार्च तक विधानसभा और ब्लॉक स्तर पर बहुद्देशीय शिविरों का बड़े स्तर पर आयोजन किया जाए। जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित उपकरण उपलब्ध कराने के साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं का लोगों को लाभ दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आयोजनों में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले लोगों को शामिल किया जाए। सभी कार्यक्रमों को जन-जन का कार्यक्रम बनाया जाए। सरकारी योजनाओं के माध्यम से जिन लोगों ने अपने कार्यक्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं, उनकी सफलता की गाथाओं को अन्य लोगों को भी बताया जाए। पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, खेती, बागवानी और अन्य क्षेत्रों में राज्य में अच्छा कार्य करने वालों को इन आयोजनों में शामिल किया जाए। समाज के प्रतिष्ठित लोगों, सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों, राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित राज्य के लोगों और विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को भी इन कार्यक्रमों में शामिल किया जाए।

मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही उनका नियमित लाभ भी दिया जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे योजना, स्वरोजगार और स्टर्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं के विकास, एक जनपद दो उत्पाद योजना, कुटीर और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए और तेजी से कार्य किये जाएं। जिन लोगों ने सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत अच्छा कार्य कर पलायन को रोकने में योगदान दिया है, उनको प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ जल संचय की दिशा में जनपदों में और तेजी से कार्य किये जाएं।

बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, श्री आर.मीनाक्षी सुदंरम, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री विनय शंकर पाण्डेय, अपर पुलिस महानिदेशक श्री ए.पी.अंशुमन, उपाध्यक्ष एमडीडीए श्री बंशीधर तिवारी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

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लोगों को सुविधाजनक, सुरक्षित और इफेक्टिव डिजिटल बैंकिंग सेवाएं देना सुनिश्चित करें बैंकर्स- वित्त सचिव

कम सीडी रेशियो परफॉर्मिंग वाले बैंक इफेक्टिव मॉनिटरिंग प्लान बनाकर इसको बढ़ाना सुनिश्चित करें

दूरस्थ क्षेत्रों में इलेक्ट्रिसिटी और इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी बैंकिंग सेवाओं में बाधक नहीं बननी चाहिए

उपरोक्त दिशा – निर्देश वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने सचिवालय में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में दिए।

सचिव ने निर्देश दिए कि जिन बैंकों का सीडी रेशियो अनुपात कम है वे बैंक इफेक्टिव मॉनिटरिंग प्लान बनाकर सीडी रेशियो अनुपात बढ़ाएं।

उन्होंने लोगों को सुविधाजनक, सुरक्षित और इफेक्टिव डिजिटल बैंकिंग सुविधा देने के निर्देश दिए। कहा कि जहां पर इलेक्ट्रिसिटी अथवा नेट कनेक्टिविटी के इशू हैं उनका तत्काल समाधान करें।
निर्देश दिए कि बैंकिंग मित्र लोगों तक अधिक- से – अधिक पहुंचे तथा लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान कराएं और उनको फैसिलिटेट करें।

सचिव ने कॉर्पोरेट बैंकों को भी सरकारी बैंकों और कोऑपरेटिव बैकों की तरह आम जनमानस को डिजिटल साक्षरता के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए।

उन्होंने बैंकिग सलाहकार समिति को निर्देशित किया कि बैंकिंग सेवाओं से अनाच्छादित 10 गाँवो को आच्छादित करने हेतु यूपीसीएल,बी.एस.एन.एल. एवं उरेडा के साथ एक बैठक कर अतिशीघ्र इस मुददे का निस्तारण करने के निर्देश दिए।

सभी बैंकर्स और रेखीय विभाग आपसी बेहतर समन्वय से केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी सेवाओं का लाभ आम जनमानस को देना सुनिश्चित करें।

सहायक महाप्रबंधक एसएलबीसी, उत्तराखंड राजीव पंत ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से अवगत कराया कि राज्य के ऋण-जमा अनुपात में सितम्बर, 2024 से दिसम्बर, 2024 तक 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. अब ऋण जमा अनुपात 54.01% हो गया है। जिसे और अधिक बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

सामाजिक सुरक्षा योजना अंतर्गत दिनांक 31.12.2024 तक पी.एम.जे.डी.वाई में (PMJDY) 38,95,316, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) में 41,07,249 प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) में 13,36,325 तथा अटल पेंशन योजना (APY) में 8,34,002 खातों को आच्छादित किया गया है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) के तहत राष्ट्रीय औसत कवरेज 40,000 (प्रति लाख) है, जबकि उत्तराखंड राज्य में यह औसत 48.000 तक पहुँच चुका है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत राष्ट्रीय औसत ऋण राशि ₹62.686/ है, जबकि उत्तराखण्ड राज्य का औसत ₹93,900/- है।

ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा राज्य में वित्तीय वर्ष के द्वितीय त्रैमास में 9711 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिनमें से 1683 उद्यमियों द्वारा स्ववित्तपोषण से तथा 2819 उद्यमियों द्वारा बैंक ऋण प्राप्त कर व्यवसाय प्रारम्भ किया गया।

वित्तीय साक्षरता केन्द्र द्वारा कुल 385 वित्तीय साक्षरता कैम्प आयोजित किये गये हैं, जिनमें 12203 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

राज्य के समस्त जिलों के 32 केन्द्रों में प्रायोजक बैंकों (भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक एवं बैंक ऑफ बड़ौदा) के सहयोग से CRISIL Foundation (implementing NGO) द्वारा सी.एफ.एल. केन्द्र की स्थापना की गयी है, जो कि अपने केन्द्र के नजदीक दो अन्य ब्लाकों को कवर कर रहे हैं। उक्त संस्था द्वारा वित्तीय साक्षरता हेतु फेज 1 में 924 कैम्प में 29783 प्रतिभागियों तथा फेज 2 में 604 कैम्प में 19774 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया है।

नाबार्ड द्वारा अवगत कराया गया कि विशेष ध्यान केंद्रित जिले (Special Focus Districts) अंर्तगत आने वाले पात्र बैंक (SCB-including SFB & PB, RRB, RCB) जहा पर आंतरायिक कनेक्टिविटी (Intermittent connectivity) नही रहती है वहां पर नाबार्ड द्वारा Kiosk/Fixed CSP, New branches opened और Existing branches में सौर ऊर्जा इकाई / यूपीएस लगाने हेतु 1 लाख प्रति युनिट का अनुदान दिया जा सकता है। राज्य में कृषि क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न योजनायें संचालित की जा रही हैं, जिसमें उद्यमियों को सब्सीडी भी प्रदान की जाती हैं। अतः बैंक इन योजनाओं में अधिक- से- अधिक ऋण प्रदान कर राज्य का ऋण-जमा अनुपात बढ़ा सकते हैं।

बैठक में अभिषेक रोहेला अपर सचिव, नवीन कुमार, सहायक महाप्रबन्धक नाबार्ड, धीरज कुमार अरोड़ा सहायक महाप्रबन्धक भारतीय रिर्जव बैंक सहित सभी बैंकों के नियंत्रक द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने आपदा प्रबन्धन विभाग की बैठक ली

उत्तराखण्ड में भूकम्प संवेदी उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की निर्माण सामग्री के उपयोग को प्राथमिकता देने तथा बिल्डिंग कोड् का सख्ती से पालन कराने को लेकर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने आपदा प्रबन्धन विभाग को सभी कार्यदायी एजेंसियों के लिए बिल्डिंग कोड से सम्बन्धित कार्यशालाएं एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश दिए हैं। सीएस श्रीमती रतूड़ी ने कहा कि भूकम्प संवेदी विशेषकर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में भवन निर्माण में हल्की सामग्री का प्रयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकारी भवनों के निर्माण में यह प्रयोग आरम्भ करने के निर्देश दिए हैं। आपदा प्रबन्धन की रणनीति में निरन्तर सुधार के दृष्टिगत मुख्य सचिव ने राज्य में हाल ही में घटित हिमस्खलन सहित सभी आपदाओं की केस स्टडी तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आपदा संवेदी क्षेत्रों में कार्य करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर काॅन्ट्रेक्टर, कार्यदायी संस्था व जिला प्रशासन की जिम्मेदारी तय करते हुए इस सम्बन्ध में एक स्पष्ट एसओपी बनाने के निर्देश दिए हैं। इसमें कार्यरत श्रमिकों की जानकारी जिला प्रशासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य सचिव ने उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में हिमस्खलन जैसी आपदाओं से बचाव एवं राहत हेतु स्थानीय समुदायों को जागरूक एवं सक्रिय करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सचिवालय में आयोजित आपदा प्रबन्धन विभाग की बैठक में नेशनल ग्लेश्यिल लेक आउटबर्स्ट फ्लड रिस्क मिटिगेशन प्रोग्राम (एनजीआरएमपी) के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एनडीएमए) को उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की ओर से भेजी गई प्रोजेक्ट प्री फिजीबिलिटी रिपोर्ट व राष्ट्रीय भूकम्प जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रम की प्राथमिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा की। सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने ग्लेश्यिल लेक आउटब्रस्ट फ्लड पर अर्ली वार्निग सिस्टम पर सीडैक के तकनीकी एवं वित्तीय प्रस्तावों की भी समीक्षा की।

 

बैठक में जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा एनईआरएमपी (National Earthquake Risk Mitigation Programme ) के लिए तैयार किए गए फ्रेमवर्क डाक्यूमेंट में उत्तराखण्ड राज्य भूकम्प पूर्व चेतावनी प्रणाली नेटवर्क की प्रंशसा की गई है। एनडीएमए ने कहा है कि भारत में, उत्तराखंड राज्य भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली (यूईईडब्ल्यूएस) नेटवर्क जिसमें अंडाकार आकार के 169 भूकंपीय सेंसर शामिल हैं, जो भारतीय हिमालय के मध्य भूकंपीय अंतराल के एक क्षेत्र उत्तराखंड-धारचूला भूकंप अंतराल में पूर्व-पश्चिम में लगभग 290 किमी और उत्तर-दक्षिण में 120 किमी की बड़ी धुरी के साथ नेटवर्क बनाते हैं। इसकी मजबूत गतियों ने विभिन्न भूकंपों को रिकॉर्ड किया और समर्पित निजी नेटवर्क के माध्यम से रुड़की में केंद्रीय सर्वर पर वास्तविक समय में जानकारी प्राप्त की। केंद्रीय सर्वर ने मोबाइल ऐप पर उत्तराखंड की जनता को सूचनाएं और चेतावनी अलर्ट जारी किए | ट्रिगर किए गए सेंसर के स्थान, भूकंप के केंद्र और इन घटनाओं में लोगों को मिलने वाले लीड टाइम के साथ चेतावनी जारी करने की एक सफल कहानी है। इन उदाहरणों को भारत के हिमालयी क्षेत्रों के अन्य हिस्सों में भूकंपीय नेटवर्क और भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली के उच्च घनत्व की स्थापना को तर्कसंगत बनाने के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में माना जा सकता है।

 

बैठक में सचिव श्री विनोद कुमार सुमन, आईजी श्री अरूण मोहन जोशी सहित आपदा प्रबन्धन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।आगे पढ़ें 

 

सचिव आपदा प्रबन्धन श्री विनोद कुमार सुमन ने की डीडीएमपी की समीक्षा
जनपदों को जल्द से जल्द डीडीएमपी बनाने के दिए निर्देश
एनडीएमए के दिशा-निर्देशों पर बनाए जा रहे हैं डीडीएमपी
देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने जिला आपदा प्रबंधन योजना तथा राज्य आपदा प्रबंधन योजना बनाए जाने की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने डीडीएमपी तथा एसडीएमपी बनाए जाने को लेकर सभी जनपदों के आपदा प्रबंधन अधिकारियों को जरूरी सुझाव दिए और जल्द से जल्द इन्हें पूरा करने को कहा।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में डीडीएमपी तथा एसडीएमपी का निर्माण किया जा रहा है। इस दौरान यूएसडीएमए के एसीईओ क्रियान्वयन डीआईजी श्री राज कुमार नेगी ने कहा कि डीडीएमपी और एसडीएमपी आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है। उन्होंने विभिन्न डीडीएमओ को इसे बनाने को लेकर जरूरी सुझाव दिए।
वहीं दूसरी ओर एसीईओ प्रशासन श्री आनंद स्वरूप ने सभी जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों को जल्द से जल्द एसडीआरएफ तथा एसडीएमएफ के लिए डिमांड भेजने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने सभी जिलों से सुरंगों के लिए बनाई जा रही मानक परिचालन प्रक्रिया के लिए सुझाव उपलब्ध कराने तथा विभिन्न बांधों, बड़ी परियोजनाओं तथा संरचनाओं के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान बनाने के निर्देश दिए। इस दौरान संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, डॉ. बिमलेश जोशी, डॉ. वेदिका पन्त, श्री रोहित कुमार, सुश्री तंद्रीला सरकार, श्री हेमन्त बिष्ट, श्री अंकित सती, डॉ. रुचिका टण्डन, श्री वैभव बहुगुणा आदि मौजूद थे। आगे पढ़ें 

एनडीएमए ने हीट वेव को लेकर परखी तैयारियां
आईएमडी के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस साल अधिक पड़ेगी गर्मी
अस्पतालों में अलग से हीट स्ट्रोक रूम बनाने के निर्देश
देहरादून। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आगामी गर्मी के सीजन को देखते हुए देशभर के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के साथ बैठक कर हीट वेव दउसे प्रभावी तरीके से निपटने की रणनीति पर चर्चा की। साथ ही विभिन्न राज्यों में हीट वेव से निपटने की तैयारियों की समीक्षा भी की गई।
एनडीएमए मुख्यालय से ऑनलाइन संचालित बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन के साथ ही यूएसडीएमए के एसीईओ प्रशासन श्री आनन्द स्वरूप, एसीईओ क्रियान्वयन डीआईजी श्री राजकुमार नेगी, जेसीईओ मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, डॉ0 बिमलेश जोशी ने प्रतिभाग किया।
बैठक में मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने बताया कि देश के अधिकांश हिस्सों में इस साल तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। आईएमडी के वैज्ञानिक डॉ नरेश कुमार ने बताया कि इस साल पिछले साल की तुलना में अधिक तापमान रहने की संभावना है। हीट सीजन की घोषणा कर दी गई है। मार्च, अप्रैल और मई में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इसके साथ ही हीट वेव के दिन भी अधिक रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है। इस साल पिछले साल की तुलना में अधिक गर्मी पड़ने का अनुमान है, इसलिए सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
बैठक में एनडीएमए के अधिकारियों ने गर्मी को देखते हुए स्कूलों के समय में परिवर्तन करने तथा मनरेगा मजदूर तथा श्रमिकों के कार्य करने के लिए समय में परिवर्तन करने की सलाह दी, जिससे कि वह गर्मी के प्रकोप से बच सकें। इस दौरान अधिकारियों ने सभी राज्यों को हीट वेव एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए।
डॉ आकाश श्रीवास्तव, अपर निदेशक, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने बताया कि हीट वेव को देखते हुए सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर दी गई है। इसमें हीट वेव से निपटने के लिए व्यापक कार्ययोजना तथा सुझावों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। साथ ही अस्पतालों में अलग से एक हीट स्ट्रोक रूम बनाने तथा एंबुलेंस में भी हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों के उपचार के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
हीट स्ट्रोक पीड़ित मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके, इसके लिए डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण देने, सभी स्वास्थ्य केद्रों में कूलिंग अप्लायंसेज की व्यवस्था करने, विद्युत आपूर्ति की निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करने, सार्वजनिक स्थानों में स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था करने, कुल रूफिंग सॉल्यूशंस को पायलट प्रोजेक्ट के तहत संचालित करने तथा प्रत्येक राज्य से एक हीट नोडल ऑफिसर की तैनाती करने को कहा।

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