देहरादून, आप पार्टी के प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव में 2 से अधिक बच्चों वाले लोग भागीदारी नहीं कर पाएंगे सरकार अपने इस फैसले को बदलने का मन बना रही है ऐसी विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है।
मेरा पंचायत राज मंत्री सतपाल महाराज से अनुरोध है कि पंचायतों को प्रयोगशाला बनाने के बजाय एक समग्र अध्ययन कराने के बाद केवल दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को कट ऑफ डेट निर्धारित करते हुए पंचायत चुनाव में भागीदारी करने का मौका देने के बजाय पंचायतों में परिसीमन और आरक्षण की पद्धति का भी परीक्षण कर लिया जाए।
गांव गांव शहर कस्बे में अपने सदस्यों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने बेरोजगारी दूर करने ,सुंदर स्वास्थ्य रखने के लिए काली हल्दी का उत्पादन करने के लिए अभियान चलाया जाय खेतो में घरों में खाली सीमेंट के कटों पर लगायें
पंचायतें हर 5 साल में परिसीमन आरक्षण के रोटेट होने के कारण कमजोर हो रही है। पुराने और अनुभवी प्रतिनिधियों को दोबारा मौका न मिलने के कारण सदन में नए लोगों को अधिकारी कर्मचारी जानकारी के अभाव में गुमराह करते हैं। एक बार चुने जाने के बाद पंचायत प्रतिनिधि मात्र 5 साल को लक्ष्य करके काम करते हैं ऐसे में पंचायतों के माध्यम से विकास की जो अपेक्षाएं हैं अनुभव की कमी और 5 साल के लक्ष्य के कारण वह सही तरीके से धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं।
मेरा मानना है कि पंचायत राज एक्ट की खामियों को अध्ययन के बाद दूर करने से ही पंचायतें मजबूत होगी। विधायिका पंचायत प्रतिनिधियों को सौत के रूप में देखने के बजाय उनको अपने सहयोगी के रूप में देखें ताकि धरातल पर राज्य सरकार के और पंचायतों के विकास के काम बेहतर तरीके से उतर सकें।आगेपढें
उत्तराखंड सरकार के पंचायत राज मंत्री ने आज नई टिहरी में घोषणा की है कि अब पंचायतों में एक निर्धारित काट आफ डेट से पहले के 2 से अधिक बच्चों वाले लोग पंचायत चुनाव में भागीदारी कर सकेंगे। भाजपा सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में 2019 के पंचायत चुनाव से पहले विधान सभा में बिल पेश करके पंचायत चुनाव में दो से अधिक संतान वाले लोगों को चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया था। मैंने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय नैनीताल में जाकर के याचिका दायर करने पर उच्च न्यायालय ने धारा 8 के अंतर्गत ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर दो से अधिक बच्चे वालों के लिए कट ऑफ डेट निर्धारित करते हुए चुनाव लड़ने के लिए आदेश जारी किया। तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाइकोर्ट के फैसले का विरोध किया। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। माननीय सतपाल महाराज जी पंचायत राज मंत्री हैं वह इस ढंग की घोषणा करके वह उत्तराखंड के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
पंचायत चुनाव में दो से अधिक संतान वालों की भागीदारी करने का फैसला भारतीय जनता पार्टी सरकार करना चाहती है तो उसके लिए सदन में बिल पेश करके पारित कराना पड़ेगा या फिर कैबिनेट इस पर फैसला लेगी लेकिन अंततः कैबिनेट के फैसले को भी सदन में पारित कराना पड़ेगा या फिर मुख्यमंत्री जी विचलन के अधिकार का उपयोग कर इसका आदेश जारी कर सकते हैं। किसी भी कैबिनेट मंत्री या विभागीय मंत्री को यह अधिकार नहीं है कि वह घोषणा करें और इसका जीओ जारी होगा। यह कतई नियम के अंतर्गत नहीं है ऐसे में माननीय सतपाल महाराज जी की घोषणा करके अपने को भी और लोगों को भी गुमराह कर रहे हैं।
हमारी सरकार से मांग है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों को के पदों पर दो से अधिक बच्चे वालों को चुनाव लड़ने का अधिकार मिलने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका को वापस ले तथा अगले विधानसभा सत्र में दो से अधिक संतान वाले लोगों को एक कट ऑफ डेट निर्धारित करने के बाद पंचायत चुनाव में भागीदारी करने का मौका देने का कानून पास कराएं। यही एक उचित रास्ता है। मुझे उम्मीद है कि सरकार इस विषय पर संज्ञान लेगी।