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 शांतिकुंज पहुंचे केरल से २५० गायत्री साधक विशेष आध्यात्मिक तीर्थ संवाद सत्र का शुभारंभ

Pahado Ki Goonj

शांतिकुंज पहुंचे केरल से २५० गायत्री साधक
विशेष आध्यात्मिक तीर्थ संवाद सत्र का शुभारंभ

हरिद्वार २६ अप्रैल।
साधकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव के उद्देश्य से गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में नियमित रूप से संजीवनी साधना सत्र के अलावा विभिन्न प्रशिक्षण सत्र चलाये जाते हैं। साधना सत्रों की इसी शृंखला में केरल प्रांत के मलयालम भाषी २५० से अधिक भाई-बहिन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज पहुंचे। नियमित रूप से चलने वाली प्रशिक्षण शिविर के अलावा केरल के भाई बहिनों के लिए अलग से सत्र चलाये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है केरल के व्यासायिक राजधानी कोचीन एर्नाकूलम में होने वाले दिसम्बर २०२२ गायत्री महायज्ञ के प्रयाज के रूप में आयोजित है।
शिविर का शुभारंभ  शिवप्रसाद मिश्र, स्वामी सान्द्रानंद सरस्वती, स्वामी ब्रह्मानंद जी, श्रेष्ठाचार सभा के आचार्य  प्रकाश आदि के संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। शिविर के प्रथम दिन अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधना- मन को किसी निश्चित दिशा में साधने का प्रयास का नाम है। साधना का अर्थ अपने मन को स्थिर कर मनोवांछित कार्य करने के लिए सक्षम बनाना है। साधना का किसी भी मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि सफल होने की तमन्ना के साथ मनोयोगपूर्वक किये जाना कार्य साधना है।
सायंकालीन सभा में पं० शिवप्रसाद मिश्र ने कहा कि साधक के जीवन में गुुरु का विशेष महत्त्व है। सद्गुरु के सानिध्य में साधक जब साधना करता है, तो उसका सुफल अवश्य मिलता है। पं. मिश्र ने उपासना, साधना, आराधना को जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बताया।
शिविर के संयोजक उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि मलयालम भाषा में चलाये जाने वाले साधना शिविर का यह सातवां शिविर है। इस शिविर में केरल प्रांत के २५० से अधिक भाई बहिन शामिल हैं। इस शिविर में डॉक्टर्स, इंजीनियर, जाने माने संगीतज्ञ, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा उद्योगपति शामिल है। शिविर का समापन १ मई को होगा।

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योग का आधार तन और मन की शुद्धता ः डॉ. चिन्मय पण्ड्या

हरिद्वार २७ अप्रैल।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में योगोत्सव का आयोजन किया गया। घर-घर पहुंचे प्रज्ञा योग, देश अपना बने निरोग की थीम को लेकर इस कार्यक्रम को किया गया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा योगोत्सव का यह कार्यक्रम योग दिवस के उपलक्ष्य में योग प्रोटोकॉल अभ्यास के तहत कराया गया। कार्यक्रम का आयोजन हरिद्वार के ही चौधरी चरण सिंह घाट पर किया गया। देश के अमृत महोत्सव और शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती वर्ष के बीच इस योगोत्सव कार्यक्रम के माध्यम से लोगों में जनजागरूकता के साथ अपनी संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का प्रयास किया।
योगोत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देसंविवि कुलपति आदरणीय शरद पारधी जी ने कहा कि आज हमें मिलकर आजादी के अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और देव संस्कृति विश्वविद्यालय इसके लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यदि हमारा तन शुद्ध हो, मन-कर्म शुद्ध हो, यही योग का आधार है। उन्होंने कहा कि योगोत्सव के माध्यम से अपनी मानवता की मूल भावना को अपने जीवन मे लाने का प्रयास किया जाय। इस पूरे आयोजन की अध्यक्षता योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश बरनवाल जी ने की। इस आयोजन में देसंविवि के अनेक योग प्रशिक्षक एवं शांतिकुंज के योग प्रशिक्षु उपस्थित रहे।

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एफएपी को लागू करने के लिए देसंविवि का किया चयन

हरिद्वार २७ अप्रैल।
नई शिक्षा नीति-२०२० के तहत देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में फ्लेक्सिबल एकेडमिक प्रोग्राम (एफएपी) शुरु किया जाएगा। इसको लागू करने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय का चयन किया है।
एफएपी को लागू करने वाले उच्च शैक्षणिक संस्थानों में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अलावा देश के सभी भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), भारतीय औद्योगिक संस्थान (आईआईटी), गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान (प्रयागराज), दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (दिल्ली), इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, बी.एच.यू. एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को नाम शामिल किया है।
देशभर में एफएपी को लागू के लिए राष्ट्र स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें एफएपी के सभी बिन्दुओं पर गहराई से चर्चा की गई एवं इसको सफल बनने के लिए पूरी योजना तैयार की गई। इस समिति के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. नितीश पुरोहित हैं, जो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद में शैक्षिक अधिष्ठाता के पद पर कार्यरत हैं। इस समिति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय को भी देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ सूची में शामिल किया है।
देसंविवि में एफएपी मानविकी यानी ह्यूमैनिटीज और सामाजिक विज्ञान के विषयों में लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि एफएपी नई शिक्षा नीति-२०२० में प्रस्तावित किया गया था और अब इसको देश के विभिन्न विख्यात संस्थान लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एफएपी के तहत उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ कई प्रविष्ठियां और निकास बिंदु होंगे। इसके अनुसार स्नातक कोर्स ३ या ४ साल के हो सकते हैं। जिसमें कई सारे एग्जिट ऑप्शन होंगे। ये सभी एग्जिट ऑप्शन उचित सर्टिफिकेशन के साथ होंगे, जैसे कि यदि छात्र ने एक साल स्नातक कोर्स में पढ़ाई की है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा, दो साल के बाद एडवांस डिप्लोमा दिया जाएगा, तीन साल के बाद डिग्री दी जाएगी और ४ साल के बाद रिसर्च के साथ बैचलर की डिग्री दी जाएगी।

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: देसंविवि में बेसिक स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन शिविर सम्पन्न

हरिद्वार २८ अप्रैल।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में सात दिवसीय बेसिक स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन शिविर का आज समापन हो गया। इस शिविर में देसंविवि के बीएड के चालीस छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
शिविर को समापन अवसर पर देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि स्काउट एवं गाइड सेवा के पर्याय के रूप माना जाता है। प्रशिक्षण के दौरान सीखे गुणों को अपने-अपने व्यवहारिक जीवन में उतारें। डॉ. पण्ड्या ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से स्काउट एवं गाइड भाव को सदैव जीवंत बनाये रखने हेतु आवाहन किया। शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण की धुरी बताते हुए भविष्य में गुणवान शिक्षकों की महती आवश्यकता बताई।
जिला संगठन आयुक्त शांतिकुंज श्री मंगल सिंह गढ़वाल ने बताया कि सात दिन तक चले इस शिविर में प्रतिभागियों को फस्ट एड गाँठे, बंधन, तंबू निर्माण, स्काउट विद्या, हाईक आदि के व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक प्रशिक्षण दिए गए। शिविर में छात्र कल्याण अधिकारी  संदीप कुमार सहित लीडर ऑफ द कोर्स  नरेंद्र सिंह एवं राज्य प्रशिक्षण आयुक्त  आर एस नेगी,  रेखाड़ी, श्रीमती गायत्री साहू, विवेक सुबुद्धि आदि ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया।

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