देहरादून, पहाडोंकीगूँज,तस्वीर में दिख रहे बंदे ने कमाल का “विवेक” पाया है जब अगले ने देखा कि उसे बॉलीवुड ने शुरू में बतौर एक्टर, रायटर और डायरेक्टर के रूप में खारिज कर दिया है तो उन्होंने वो रास्ता पकड़ा जो कभी “लेनी राइफेनस्टाहली” ने पकड़ा था
लेनी राइफेनस्टाहली जर्मनी की तेज तर्रार तैराक, कमाल की सुंदर एक्टर और प्रजेंटर थी पर वो हर जगह असफल रही पर 1930 में उन्होंने नाजी प्रोपेगेंडा बढ़ाने वाली फिल्में बनाना शुरू कर दिया और उन्हें पूरे विश्व का अटेंशन और प्रशंसा मिलने लगी उनकी फ़िल्म ट्रायम्फ डेस विलेंस ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे
मैं “लेनी” और “विवेक” में कोई समानता नही ढूंढ रहा हूँ लेकिन पैटर्न देखिये अब तक कश्मीर फाइल्स ने 100 करोड़ से ज्यादा कमा लिए है सरकारें टेक्स फ्री कर रही है वैसे ही लेनी की फिल्मों को हिटलर प्रमोट किया करता था और लेनी एक पैसा भी नाजी पार्टी को नही देती थी उसी प्रकार विवेक ने भी अब तक कश्मीर पंडितों को फिल्म की आय में से कुछ भी देने का कोई एलान नही किया है
“लेनी” की तरह विवेक अग्निहोत्री को सरकारी सुरक्षा मिल गई है अब सरकार उनकी सुरक्षा पर 20 लाख रुपये हर महीने खर्च करेगी ऐसा ही कुछ कंगना के केस में भी हुआ था यह बड़ा टाइम टेस्टेड फॉर्मूला है एक विवादास्पद फ़िल्म बनाओ उससे खूब पैसे कमाओ और सरकार से सुरक्षा भी पाओ औऱ 100 दिन बाद विवाद को भूल जाओ
विवेक अग्निहोत्री ने सिद्ध कर दिया है कि वो विवेक ओबेरॉय जैसे “विवेक” हिन कलाकार नही है केवल नाम मे विवेक होने से कोई विवेकशील नही हो जाता है आज विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि सफलता केवल प्रतिभा से नही लेकिन प्रचार से भी मिलती है मैं कम लिखा हूँ आप ज्यादा समझना
अपूर्व भारद्वाज #डाटावाणी #घोर कलजुग
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