देहरादून। शहर के मुख्य रास्तों में जल्द ही ई-रिक्शा दिखने बंद हो सकते हैं। देहरादून पुलिस और आरटीओ ई-रिक्शा के लिए नए रूट्स पर काम कर रहे हैं, ताकि इन्हें मुख्य मार्गो से हटाया जा सके लेकिन शहर की यातायात व्यवस्था के लिए सबसे बड़े सिरदर्द विक्रमों को नियंत्रित करने के लिए न पुलिस के पास कोई योजना है और न ही आरटीओ के पास। आरटीओ ये भी बताने को तैयार नहीं है कि यातायात व्यवस्था के साथ ही पर्यावरण के लिए समस्या बन चुके इन विक्रमों को फेज-आउट करने की योजना के क्या हाल हैं।
शहर में लगातार बढ़ रही ट्रैफिक समस्या से निजात पाने के लिए ई-रिक्शा को शहर की मुख्य सड़कों से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है जो तीन दिन बाद यानि कि एक सितंबर से लागू भी हो जाएगा। योजना ई-रिक्शा को मुख्य मार्गों के बजाय शहर के अंदरूनी हिस्सों में ऑपरेट करने की है ताकि मुख्य सड़कों से भीड़ कम हो सके।
ई-रिक्शा के मार्केट में आने के बाद शुरुआत में कहा जा रहा था कि धीरे-धीरे ये विक्रमों की जगह ले लेंगे जो बेतरतीब ढंग से चलते और खड़े होकर यातायात व्यवस्था के लिए मुसीबत बन जाते हैं। ई-रिक्शा शहरी यातायात के लिए इसलिए भी बेहतर विकल्प माने गए थे क्योंकि ये ग्रीन व्हीकल हैं यानि जीरो पॉल्यूशन फैलाते हैं.विक्रम वायु और ध्वनि प्रदूषण के बड़े कारण माने जाते हैं।
आरटीओ में अब तक 2500 ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारु करने की उम्मीद में लॉंच किए गए ये ई-रिक्शा उचित योजना के अभाव में शहरी यातायात के लिए सजा बन गए हैं। विक्रमों की तरह ही ये भी बेतरतीब ढंग से चलते हैं और कहीं भी खड़े हो जाते हैं।
देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी कहते हैं कि अपनी सीमित रफ्तार की वजह से ई-रिक्शा मुख्य सड़कों पर दूसरी गाड़ियों की रफ्तार भी कम करते हैं। इसलिए देहरादून पुलिस की पहल पर इन्हें मुख्य मार्गों से बाहर करने का निर्णय किया गया।