राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड में ओलेब्रिष्टि से गेहूं ,धनिया जीरा मसालों की फसल की 50हजार छति पूर्ति दिया जाय- जीतमणि पैन्यूली। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुएअध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन तोमर ने मांगें पूरी करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि दुनिया की भूख किसानों के द्वारा मिटाई जाती है। उत्तराखंड में ओलेब्रिष्टि से गेहूं, जौ धनिया, जीरा मसालों की फसल समाप्त होगई है किसानों को 50000पचास हजार रुपए प्रतिहेक्टर छति पूर्ति मिलनी चाहिये।
आजादी से आज तक किसानों के हित में स्थिरता लाते हुए देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थाई नीति बनाई जानि चाहिए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव चौधरी ने जोरदार वकालत करते हुए देश के किसानों की पीड़ा को केंद्र सरकार के सामने अपने पत्रों के माध्यम से एंव प्रेसवार्ता के माध्यम से उठाकर समाजिक कार्यो को लेकर सजगता से निस्वार्थ भाव से उठाकर संघर्ष रत हैं।
समाचार पत्र के माध्यम से सम्पादक जीतमणि पैन्यूली ने वर्ष2011 से लगातार देश के किसानों को असली देश भगत बताया है ।पत्र ने प्रमुख रूप से लगातार किसानों के प्रति सरकार को नजरिया बदल कर काम करने के लिए कहा है ।साथ ही अपना सहयोग समर्थन यूनियन को देहरादून प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान पत्र के सम्पादक के विचारों से सहमति के बाद देरही है।
चौधरी ने किसानों के लिए तन मन धन से आंदोलन के माध्यम से किसानों की मांग मनवाने के लिए जी जान से कार्य करने में अपना कीमती समय दे रहे हैं।
समय समय पर वीडियो के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष तोमर नेकिसानों की मांग को पुरजोर तरीके से उठाते आरहे है। सरकार को देश की 70 प्रतिशत आवादी के कार्य करने के लिए सोच कर पूर्ण करने का समय इस महामारी ने कर दिया है। आज तक देश को बचाने का काम किसानों ने अपने बूते किया है ।पत्र का कहना है कि जिन उद्योग पतियों ने सस्ती जमीन, बिजली पानी, ऋण ,सब्सिडी, कर में छूट लेकर, झूठ बोलने के साथ साथ अपने उद्योगों पर लगा बैंकों का पैसा घाटा दिखाकर नहीं दिया है उनका सरकार ने68000 हजार करोड़ रुपये माफ कर दिया है। साथ ही इन उद्योग के कारण सरकार किसानों की परेशानी की ओर ध्यान नहीं दिया गया है। किसानों की ज्वलंत समस्याओं की परेशानी का जिक्र करते हुए अध्यक्ष ने सरकार से सकारात्मक परिणाम के लिए पहल की है।समय रहते देश के नेतृत्व को किसानों की मांग को मान कर देश हित में सोचते हुए कार्यक्रम बनाने चाहिए। पत्र का कहना है कि किसानों को फसलों की छति पूर्ति के लिए50000 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर। देनी चाहिए।आज देश को संकट से किसान ही उभारने में सक्षम है। किसानों को राहत मिलने से देश की विकास दर में बृद्धि जहाँ होगी वहीं देश में उद्योगों के लिए कच्चा माल किसानों के द्वारा निर्धारित समय पर तैयार करने के लिए अपनी खेती से जुड़ने लगेंगे।आज देश का सच्चा सेवक किसान सरकार की गलत फैसले से आत्महत्याओं को करने के लिए मजबूर किया जाता है वहीं उद्योग पतियों को हजारों करोड़ रुपये ऋण माफ कर देने से वह हवाई जहाज में घूमते हुए लोकतंत्र में जनता की सरकार का मखौल उड़ाकर सरकार पर राज करते नजर रहे हैं।यह अब बर्दास्त नहीं किया जाएगा आज सरकार की नीतियों के साथ साथ प्रकृति ने किसानों को नंगा करके रख दिया है।
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