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विश्व प्रेस आजादी दिवस पर सरकार प्रेस को संवैधानिक दर्जा दें

Pahado Ki Goonj

78वर्ष के लोकतंत्र में प्रेस को संवैधानिक दर्जा नहीं देने से लोकतंत्र कमजोर किया जारहा है

लिखवार गावँ टिहरी गढ़वाल,हर साल 3 मई को दुनिया भर में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे या विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। हर साल इसकी थीम अलग होती है। इसकी मेजबानी भी हर साल अलग-अलग देशों को मिलती है। संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 3 मई को विश्व प्रेस दिवस या विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया ताकि प्रेस की आजादी के महत्व से दुनिया को आगाह कराया जाए। इसका एक और मकसद दुनिया भर की सरकारों को यह याद दिलाना है कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की रक्षा और सम्मान करना इसका कर्तव्य है। लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उनको बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। इसलिए सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

पहली बार कब मनाया गया?
1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए एक पहल की थी। उन्होंने 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों से संबंधित एक बयान जारी किया था जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक (Declaration of Windhoek) के नाम से जाना जाता है। उसकी दूसरी जयंती के अवसर पर 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया। तब से हर साल 3 मई को यह दिन मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है?
दुनिया भर के कई देश पत्रकारों और प्रेस पर अत्याचार करते हैं। मीडिया संगठन या पत्रकार अगर सरकार की मर्जी से नहीं चलते हैं तो उनको तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। मीडिया संगठनों को बंद करने तक के लिए मजबूर किया जाता है। उनको आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं जैसे उन पर जुर्माना लगाना, आयकर के छापे, विज्ञापन बंद करना आदि। संपादकों, प्रकाशकों और पत्रकारों को डराया-धमकाया जाता है। उनके साथ मारपीट भी की जाती है। अगर इससे भी वे बाज नहीं आते हैं तो उनकी हत्या तक करा दी जाती है। ये चीजें अभिव्यक्ति की आजादी के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए दुनिया भर में प्रेस की आजादी का दिन मनाया जाता है। इस मौके पर नागरिकों को बताया जाता है कि कैसे प्रेस की आजादी को छीना जा रहा है। साथ ही सरकारों को भी जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित किया जाता है।
कैसे मनाया जाता है?
इस अवसर पर तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली शख्सियतों को सम्मानित किया जाता है। स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थानों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में प्रेस की आजादी पर वाद-विवाद, निबंध लेखन प्रतियोगिता और क्विज का आयोजन किया जाता है। लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से अवगत कराया जाता है। इस मौके पर यूनेस्को की ओर से भी पुरस्कार दिए जाते हैं।
सभी पत्रकार बन्धुओं को विश्व प्रेस स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर सभी को आरोग्य रखें और सभी की रक्षा करे,अपने कर्तव्य पथ पर सच का साथ देते हुए मारे गए ज्ञात ,अज्ञात पत्रकारों को भी इस अवसर पर नमन करता हूँ,सरकार से आग्रह करूँगा कि अपनी जान जोखिम पर डालने वाले लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ के महारथियों की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था हो,ताकि पत्रकारों पर हमले और उनकी हत्याएं न हो सके।

इसके लिए सरकार को  संसद में कानूूून बना कर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे पहले चौथे सतम्भ को कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका की भांति संवैधानिक दर्जा देने का काम करना चाहिए।

(चन्द्रशेखर पैन्यूली)।=========================================

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