एनएसए डोभाल और सेना प्रमुख जनरल
रावत ने किया ‘हिल वॉरियर्स’ का विमोचन
नई दिल्ली• पत्रकार और लेखक मनजीत नेगी की पुस्तक है ‘हिल वॉरियर्स’। विश्वविख्यात लेखक रस्किन बॉण्ड ने लिखी है प्रस्तावना।
• कोस्ट गार्ड के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र सिंह, रॉ के पूर्व प्रमुख अनिल धस्माना, एयर इंडिया के सीएमडी अश्विनी लोहानी, एनटीआरओ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी और कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल भी रहे मौजूद।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मनजीत नेगी की नई पुस्तक ‘हिल वॉरियर्स’ का छह जुलाई को दिल्ली स्थित आकाश एयरफोर्स ऑफिसर मेस के सभागार में विमोचन किया। इस अवसर पर कोस्ट गार्ड के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र सिंह (रिटायर्ड), रॉ के पूर्व प्रमुख अनिल धस्माना, एयर इंडिया के सीएमडी अश्विनी लोहानी, नेशनल टेक्नीकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी और केदारनाथ के पुनर्निर्माण के हीरो कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल भी मौजूद रहे। रक्षा-सुरक्षा और प्रशासन में शीर्ष पदों पर महती भूमिका निभा रहे पहाड़ के अनेक सपूतों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर एनएसए अजीत डोभाल ने कहा, इस पुस्तक का उद्देश्य हमारी आने वाली पीढ़ियों को यह प्रेरणा देना है कि आप अपनी लगन, मेहनत और ईमानदारी से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह किताब इस भावना से लिखी गई है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों की मानसिकता में यह परिवर्तन लाया जाए। वह प्रेरित होकर अपने को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना सकें।
एनएसए डोभाल ने कहा कि हमारी दो तरह की पहचान होती हैं। एक जो हम हासिल करते हैं और दूसरी वह जो हमें जन्म से मिलती है। हमें जन्म से पहचान मिलती है, हम किस धरती से संबंध रखते हैं, किसके बेटे हैं। हमारा जमीन से जुड़ा होना हमारी असल पहचान है। बाकी सब हासिल की गई पहचान हैं। हासिल की गई पहचान की जीवनकाल सीमित है। हमारी मूल पहचान तब तक रहती है, जब तक हमारा कोई भी सदस्य इस दुनिया में रहता है। महाराणा प्रताप भले ही आज न हों लेकिन उनकी विरासत राष्ट्रव्यापी है। भारत का राष्ट्रवाद महाराणा प्रताप और शिवाजी के बिना अधूरा है। इसी तरह से हमारी गढ़वाली पहचान चाहे वह गब्बर सिंह हों या दरबान सिंह नेगी हों, उनके बिना अधूरी है। हम खुद को उनके साथ जोड़ते हैं। ये वो वीर थे जिन्हें विक्टोरिया क्रास मिला, जिन्होंने बहादुरी से नाम कमाया। हमें यह समझना होगा कि अपनी मूल पहचान को हासिल की गई पहचान से नाम भी दे सकते हैं और शर्मसार भी कर सकते हैं। हम आने वाली पीढ़ी को यह मानसिकता दे सकते हैं कि वो ये सोचें कि मैंने किस पहचान में जन्म लिया है। मैं उत्तराखंड का निवासी हूं। हिमालयी की वादियों में मेरा जन्म हुआ, मेरा संबंध उससे है। मैं ऐसा कुछ करके जाऊंगा कि यहां पर रहने वाले लोगों का, इस धरती का नाम ऊंचा हो। इस संदेश को आगे पहुंचाने के लिए इस किताब के जरिये जो काम किया गया है, वह बहुत अच्छा है। प्रेरणा मेरे जीवन का मूल मंत्र रहा है। अगर मनुष्य किसी से प्रेरित हो जाता है तो वह मंजिल के पास नहीं जाता, मंजिल उसके पास आती है।
‘हिल वॉरियर्स’ के विमोचन के अवसर पर सभी ने पुस्तक की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। ‘हिल वॉरियर्स’ की प्रस्तावना अंग्रेजी के विश्वविख्यात लेखक रस्किन बॉण्ड ने लिखी है। उन्होंने इसे उत्तराखंड की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक पुस्तक बताया है।
इस मौके पर लेखक मनजीत नेगी ने कहा, ‘हिल वॉरियर्स’ लिखने की प्रेरणा मुझे पिछले पांच साल के दौरान एनएसए अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सचिव भास्कर खुल्बे, कोस्ट गार्ड के महानिदेशक राजेंद्र सिंह और रॉ प्रमुख रहे अनिल धस्माना के कार्यकाल को एक पत्रकार के तौर पर नजदीक से देखने और कवर करने के दौरान हुए अनुभवों से मिली। अपनी पहली किताब ‘केदारनाथ से साक्षात्कार’ लिखने के बाद मैंने ‘हिल वॉरियर्स’ लिखने का निर्णय लिया, क्योंकि मैं इतने लोगों के एक साथ शिखर पर पहुंचने की इस अद्भुत घटना का गवाह हूं। इस पुस्तक के कवर पेज पर नंदा देवी की तस्वीर है। ये सभी हिल वॉरियर्स मां नंदा के वो सपूत हैं जिन्होंने पहाड़ के मुश्किल हालात से निकलकर अपनी ईमानदारी और मेहनत के बल पर एक अलग स्थान बनाया।
‘हिल वॉरियर्स’ मनजीत नेगी की दूसरी पुस्तक है। इससे पहले वह केदारनाथ में आई विनाशकारी आपदा और उससे बाद चले मैराथन पुनर्निर्माण कार्यों पर बेस्ट सेलर पुस्तक ‘केदारनाथ से साक्षात्कार’ लिख चुके हैं। इसका अंग्रेजी संस्करण ‘फेस टु फेस विद केदारनाथ’ भी काफी सराहा जा रहा है। ‘हिल वॉरियर्स’ का प्रकाशन हाफक्रो प्रकाशन ने किया है।