प्रधानमंत्री से पीड़ित नारी शक्ति ने लगाई गुहार रोको भर्ष्टाचार

Pahado Ki Goonj

 सेवा में

श्रीमान प्रधान मंत्री जी
भारत सरकार

नई दिल्ली-1
विषय:- यूसैक निदेशक के उत्पीड़न की शिकार, महिला कर्मी व 6 अन्य निष्कासित कर्मचारी के बारे में उचित कार्रवाई करने हेतु।
महोदय,
मैं, एक मध्यम आय वर्ग की बेटी हूँ। लेकिन, सामाजिक क्षेत्र/कार्य क्षेत्र में हमें अक्सर कठिनाईयों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
आज कल, मैं स्वयं भी ऐसे ही उत्पीड़न की शिकार बनी हूँ। मैं विगत 7 वर्षों से अभी हाल तक उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र देहरादून (यूसैक) में संविदा पर कार्यरत रही हूँ। विभाग में मेरी नियुक्ति नियमानुसार, 13 मई 2011 को डाटा एंट्री ऑपरेटर पद हेतु आयोजित, वॉक इन इंटरव्यू के आधार (निदेशक डॉ. एम. एम. किमोठी जी के कार्यालय आदेश संख्या यू-सैक/त. प्र./स्कूल मैपिंग/2011/260 दिनांक 23 जून 2011 का पत्र) के आधार पर हुई। जिसके उपरांत मई 2012 से बी एस एन आउट सर्विसेज के माध्यम से लिपिकीय मानवशक्ति के कार्यों हेतु आबद्धित की गयी।
परंतु अकस्मात, 28 फरवरी 2018 को बिना किसी नोटिस, बिना त्रुटि बताये, निदेशक द्वारा मुझे विभाग से निष्कासित कर दिया गया।लेकिन फिर भी मैं नियमित रूप से कार्यालय जाती रही, निष्कासित किये जाने का कारण जानने। दिनांक 5 मार्च 2018 को जब मैं कार्यस्थल पहुंची, तो हाजिरी रजिस्टर गायब कर दिया गया और बायोमेट्रिक्स से मेरा नाम भी हटा दिया गया। मेरे साथ हो रहे दुर्व्यवहार का कारण, आज तक समझ नहीं आया। मेरा आर्थिक स्रोत खत्म कर, लगातार मेरा मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है।
निदेशक के निर्देश पर 12 अप्रैल को मुझे कार्यालय में पुलिस बुलाकर, अपमानित किया गया। 13 अप्रैल 2018 को कार्यालय से बाहर कर, गेट के भीतर से ताला लगा दिया गया। दिनांक 13 अप्रैल 2018 से आज 8 जून 2018 (48वें) तक मैं कार्यालय के गेट के बाहर ही न्याय की गुहार को अनिश्चित कालीन धरने पर बैठी हूँ।
मैं अपनी शिकायत, सबसे पहले मा. मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार के ओएसडी धीरेन्द्र पंवार जी के पास लेकर पहुंची। फिर रविनाथ रमन जी (सचिव, विज्ञान एवं प्रौधोगिकी) के पास पहुंची, तो उनके द्वारा जांच का आश्वासन दिया गया। कई दिन बीतने के बाद 23 अप्रैल को जनशिकायत निवारण शिविर में जिलाधिकारी महोदय से न्याय दिलाये जाने की मांग की। फिर माननीय मंत्री सुबोध उनियाल जी और माननीय मंत्री प्रकाश पंत जी तक भी अपनी शिकायत पहुंचायी।
दो बार माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मुलाकात कर, इंसाफ दिलाये जाने की गुहार लगायी। राइट टू पीएम और पीएमओ कार्यालय में भी अपनी शिकायत की।
इतने लंबे समय बाद भी कहीं सुनवाई ना होने के कारण, आज आपसे मेरी इस लड़ाई में सहयोग और मुझे न्याय दिलाने की गुहार लगाने को विवश होना पड़ा।
मुख्यसरक्षक जी से मैं कर बद्ध निवेदन करती हूँ कि मुझे इंसाफ दिलायें। क्योंकि, मुझे निष्कासित करने का कोई कारण आज तक मुझे नहीं बताया गया। आउट सोर्स एजेंसी बी एस एन सर्विसेज से किये गये अनुबन्ध के आधार पर (अनुबन्ध पत्र के बिंदु 5) कोई भी नोटिस मेरे खिलाफ एजेंसी को नहीं दिया गया। विगत 7 सालों के कार्यकाल के दौरान भी विभाग द्वारा मेरे कार्य, व्यवहार आदि के खिलाफ एक भी नोटिस एजेंसी को नहीं दिया गया। जबकि, विगत 7 सालों में विभाग और एजेंसी दोनों ही कई बार मेरे कार्यों की सराहना करते आये। जिनके प्रमाण, संलग्न
हैं।
लेकिन, जनवरी 2018 को उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र देहरादून में प्रतिनियुक्ति पर आये, प्रोफेसर एम. पी. एस. बिष्ट (निदेशक) द्वारा बिना योग्यता और बिना इंटरव्यू के प्रोजेक्ट पर अवैध रूप से नियुक्त प्रियंका उनियाल का प्रमोशन कर, मुझे नौकरी से हटाने का फरमान जारी कर दिया। तब से लगातार जो भी मेरे पक्ष में बात करने पहुंचते हैं, उन्हें मनगढ़ंत आरोप लगाकर मुझसे दूर रहने की हिदायत दी जाती है।
निदेशक द्वारा अपनी गलती पर पर्दा डालने को आउट सोर्स एजेंसी बी एस एन सर्विसेज से किये गये अनुबन्ध को इसलिये खत्म कर दिया गया, क्योंकि उनके द्वारा मुझे हटाने का कारण पूछा गया। अनुबन्ध की शर्तों को दरकिनार करते हुवे, 30 अप्रैल 2018 से अनुबन्ध समाप्त कर दिया गया। लेकिन, एजेंसी से अनुबन्ध समाप्त होने के बाद भी सभी अन्य 7 कर्मी दिनांक 1 जून 2018 तक भी कार्यालय में ही कार्यरत थे।
अतः मैं माननीय प्रधानमंत्री जी से कर बद्ध निवेदन करती हूँ कि हमारे साथ हुवे अन्याय की जांच करवाकर, हमें न्याय दिलाने की कृपा करें। यदि, विगत 7 वर्षों में विभाग/एजेंसी/स्टाफ किसी के भी द्वारा मेरे खिलाफ लिखित/नोटिस के रूप में आरोप पाये जाते हैं तो मैं स्वयं को दोषी मान सभी से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने को तैयार हूँ।
लेकिन, यदि हमारा निष्कासन द्वेषभाव और नियम विरुद्ध किया गया पाया जाता है, तो मुझे सम्मान नौकरी पर नियुक्ति दी जाये। साथ ही अन्य 7 कर्मियों को भी नियमानुसार नियुक्ति दी जाये। आपके इस उपकार की मैं और मेरा परिवार, आजीवन आभारी रहेंगे
13 अप्रैल से अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में आज 256वें दिन शीला रावत के समर्थन में विभिन्न सामाजिक/कर्मचारी/श्रमिक/राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग लगातार धरना स्थल पर तो पहुंचे रहे।
यूसैक से हटाये गए अन्य कर्मचारी
1 शीला रावत 7 साल से
2 जयंत शाह 4 साल से
3 देवेंद्र रावत 8 साल से,
4 सोहन नेगी 9 साल से
5 अरुण 11 साल से
6 मोहन सिंह 8 साल से
7 संदीप भंडारी 9 साल से
ये सब कर्मचारी इतने सालों से कार्यरत थे। पीपुल्स फ्रंट के जयकृत कन्डवाल, जगदीश कुकरेती, बीरेन्द्र त्यागी, मातेस्वरी सजवाण, कुवारी देवी, कमला बहुगुणा, सुलोचना बहुगुणा, योद्धराज त्यागी, एस.पी. चौहान, नन्दन सिंह रावत, जीत सिंह जी, विदुषी, पूनम, शिखा, प्रेमलता, संध्या लखेरा, दीपिका आदि मौजूद रहे।
युसैक से हटाए कर्मचारियों की प्रमुख मांगे:प्रमुख मांगे:
प्रमुख मांगे:
1. विभाग में 7,8,9,10,वर्षों से निरन्तर कार्यरत महिला कर्मी व अन्य कर्मचारीयो को उत्पीड़न कर बाहर करने के अबैद निर्णय की जाँच की जाय

सादर प्रार्थनी

शीला रावत एवं साथी
————————————————————–. दस माह से धरना प्रदर्शन करने वाली साहसी महिला का समर्थन करने की अपेक्षा है।

विभाग में 7 वर्षों से संविदा/आउट सोर्स पर नियुक्त महिला कर्मी शीला रावत का अवैध निष्कासन समाप्त कर ससम्मान विभाग में नियुक्ति की जाए
२.दीपक भंडारी, मोहनदास, सोहन सिंह नेगी, देवेंद्र रावत अरुण, जयंत शाह जो आउटसोर्स पर गत 11 वर्षों से कार्यरत, कर्मियों का अवैध निष्कासन रद्द कर आउट सोर्स/स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए
3. प्रतिनियुक्ति पर तैनात निदेशक की अवैध निष्कासन करने की निष्पक्ष जांच हो
4. अपर मुख्य सचिव श्री राधा रतूड़ी विभागीय सचिव रविनाथ रमन व मुख्यमंत्री महोदय के स्तर से निर्गत निर्देशों तथा शासनादेश ओं के अनुरूप अवैध निष्कासन रद्द कर कर्मचारियों को नियोजन पर लिया जाए जिस प्रकार अन्य विभागों में नियुक्तियां प्रदान की गई है।

सादर प्रार्थनी

शीला रावत

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