घर – घर नाली , घर – घर गैस ।
जिसकी लाठी , उसकी भैंस ।।
बनेगा पकौड़ा , बनेगी चाय ।
स्कूल कालेज , भाड़ में जाए ।।
आम आदमी से , मन की बात ।
उद्योगपतियों से , धन की बात ।।
घर – घर सेप्टिक , बांटा जाए ।
भर पेट खाना , कोई न खाए ।।
खुद का वेतन , खूब बढ़ाए ।
कर्मचारी मांगें तो , आंख दिखाए।।
जारी रखेंगे, अपनी पेन्शन।
हम मांगे तो, होती टेन्शन।।
वाह रे शासन , तेरा खेल ।
न्याय मांगें तो , हो गई जेल ।।- साभार