पहाड़ों की गूंज: टेहरी गढवाल की राजनीतिक सामाजिक चेतना का केंद्र लम्बगांव का बर्ष1967 का चित्र -जीतमणि पैन्यूली सम्पादक
लम्बगाँव के बाजार में सबसे पुरानी दुकान धार के ऊपर रेवत सिंह ,जगमोहन रांगड के परिवार की थी भारतीय स्टेट बैंक के ए टी यम के सामने का दोमंजिला पका मकान था लम्बगांव में बेडफोर्ड ट्रक नत्था सिंह रांगड गरुड़ साहब का 1962 में खोल कर आया उसका ड्राईवर दया राम और कंडक्टर मुरारी सिंह पाड़िया रैका का था वह ट्रक धार के ऊपर घुमाने के लिये जाता था आज वहां पर अतिक्रमण से जीप भी नहीं घूम सकती उसके बाद शंकर चन्द कबूल चंद्र रमोला सेठों की जमीन पर खच्चर रहते थे उनके मकान पर खाद्यान्न गोदाम था खाद्यान्न गोदाम से पहले डोडग थापला के चौहान जी की चाय की दुकान थी गोदाम के बगल में खाद्य निरीक्षक का कार्यालय था उसके सामने गढ़ सिनवाल गावँ भदूरा के बागा मोची के नाम की जूते बनाने की दुकान थी उसी के बगल से रौनद व उत्तर द्वारिका सेम मुखेम नागराजा की यात्रा व उपली रमोला के खच्चर आदमी का आम रास्ता था उसके चार दुकानों को छोड़कर गरुड़ साहब की बड़ी दुकान थी उसमें मुनीम कुछ दिन बरफ सिंह रावत मंदार प्रमुख जाखणी धार भी रहे उसी मकान पर रावत गांव के धर्म सिंह पंवार का चाय खाना का होटल था सभी लम्बगांव स्कूल के मास्टर हुकमसिह भण्डारी, अमीचन्द रमोला कारेएपा साहब , ख़िलानन्द पैन्यूली ,मोर सिह राणा ,मोर सिह रावत ,सीता राम शास्त्री आदि गुरुजन ऑफ टाइम में चाय पीते थे ।उस पर भी एक हिस्से पर खाद्यान गोदाम होटल के नीचे था उनके दुकान वहीं आगे से सरकारी हॉस्पिटल ,छत्रावास ,एक मात्र पानी के स्रोत का रास्ता और जाता था अब वह रास्ता सेमवाल मेडिकल के सामने से जारहा है।अब जो चित्र दाएं से बांये की ओर दिखाई दे रहा है उनके बर्णन से पहले पुराने लम्ब गावँ की जनकारी में श्री शंकर भगवान का मन्दिर जानेमाने अबर अभियंता रामचन्द्र उनियाल पनसूत ओण, टेहरी अब देहरादून वालों ने बनवाया, रास्ते पर मनी राम मोची की दुकान मकान झोपड़ी नुमा था वह गोबिन्द प्रसाद सेमवाल सेठ ने लिया ।उसके आगे खच्चर खड़े रहते थे।गधेरे की ओर मकान पत्थल की छवाई का पोखरियाल गावँ स्वर्गीय दाणी का तीन कमरे दोमंजिला कच्चा मकान था उस पर दुकान होटल था उनके अपने खच्चर थे ।अब महावीर थलवाल की लौह पेन्ट , दर्शन सिंह पोखरियाल प्रधान की दुकान होटल है। बगल में सटा हुआ कुंवर सिंह रांगड का कच्चा चदर की छवाई के दुमंजिला तीन कमरे का मकान था उस पर होटल दुकान वह खुद चलाते थे उसके ऊपर पशु चिकित्सालय पशु डॉक्टर पिलखी घोंटीके पीताम्बर दत्त नोटियाल रहते थे उसके बग़ल से रेंज कार्यलय चारगांव का रास्ता जो अब सँकरा होगया बगल में पान का खोका था उसके बाद रास्ता सबल सिह रांगड बंदु की होटल के लिए झोपड़ी थी जिस पर कुछ दिन केशव रावत के दादा की
मिठाई की दुकान रही उसके बाद जेबला वालों का होटल रहा ।आगे सबल सिंह रांगड की एकमात्र दवाई की दुकान थी उसके ऊपर पोस्टऑफिस था।उसीके सामने रामचंद्र रमोला रावत गावँ वालो दुमंजिला कच्चा मकान पर दुकान व होटल वहां उनके परिवार के पैडा आरगड निवासी बर्फ़ चंद्र रमोला रहते थे उसके निचले हिस्से में लड़के किराये दार रहते थे।आबकी मदन सिंह नेगी मास्टर अब छिडरवाला हम उस पर किरायादार भी रहे। उसके बगल में श्री सरस्वती हाई स्कूल का पक्का भवन पर पुस्तकालय व संस्कृत विद्यालय चलता था उसके बगल से स्कूल ,पानी का एवं उपली रमोली का रास्ता जाता है E आकार का भव्य विद्यालय उसके ऊपर खेत मे बच्चों की कृषि विषय की प्रयोगात्मक छोटी छोटी क्यारियो अमरूद के पेड़ों के निचे बनाकर साग सब्जी उगाते थे ।स्कूल के ऊपर पपीता के काफी पेड़ पर पपीता लगे रहते थे छात्रा वास् के नीचे भी कृषि प्रयोग के लिये अमरूद निम्बू के सैकड़ों पेड़ पानी के धारे के ऊपर तक स्कूल ने लगाए थे उसके बगल में प्रधानचार्य छेत्र के सामाजिक जागरूकता के कर्णधार, कर्म योगी विद्या दत्त रतूड़ी के निवास पर सारे मुल्क़ के लोगों की चहल पहल रहती थी।उसके नीचे छात्रा वास व स्कूल बच्चों के लिये ठेकेदारी पर किचन था उसको साल साल के चलाने वाले लोग आते थे।जो मकान सुरु में ऊपर की तरफ बना दिखाई दे रहा है वह ग्राम सुकरे खुशी राम, परेश्वर प्रसाद,मार्कण्डेय प्रसाद सेमवाल बन्दुओ ने मकान बनाया अब रोशन लाल सेमवाल पूर्व प्रमुख केपास है उसके बाद जाने माने डॉ जगदीश प्रसाद कुड़ियाल ने अपनी डिस्पेंसरी उसके बगल में कपड़े सिलाई पुरषोत्तम दत पैन्यूली , मोहनलाल पैन्यूली पनियाला ,उम्मेद सिंह रांगड क्यारी उसके सामने नत्था सिंह कश्यप रोनिया वालो ने मकान दोमंजिला बनाय उस पर भी खाद्यान्न गोदाम व होटल जगुुड़ी ने खोला, मनीराम की झोपड़ी के बगल मोरसिह,केदार सिह राणा का मकान अखबार कपड़ों की दुकान उसके बगल में कपड़ा सिलाई के की दुकान पर बनियानी भदुरा स्व मुकन्दराम पैन्यूली ,खेम सिह चांठी रैक आदि उसके बग़ल कलम सिंह राणा लखपति फेटे साहब दोढग सतेेसिह का मकान, हुक्म सिंह रावत सिंह ,तब लक्ष्मी प्रसाद पैन्यूली पनियाला की दुकान उसके बाद मर्च्या साहब रोनिया, तब केशव सिंह रावत के दादा उनके दांत बनावटी थे तो उनको थोला बुढ़िया जलेबी वाले कहकर पुकारते थे उसके बाद रोनिया वालों की दुकान अब होटल मिठाई की दुकान चल रही है उसके बाद लाला सत्येसिह पोखरि की दुकान होटल बगल में रफ़ि नाई से पहले प्रेम नाई की दुकान रही उसके बगल मे उम्मेद सिंह राणा जी का मकान पर होटल रहा । रूपचंद सिंह पोखरि याल की दुकान ओर कुँवर सिह रांगड के सामने रोनिया की सुसायटी बनी सबल सिह रांगड के बगल में कमले श्वर रतूड़ी ने बड़ा मकान बनाया उस समय लम्बगांव लाल माटा निरक्षन भवन बना ठकेदार ने उसके कारपेंटर रूपचन्द सिह पोखरियाल उनके सामने अब ग्राम नोगर वालों की बुकसेलर की दुकान है उन्होंने दिन रात काम कर बड़े अधिकारियों के रुकने का साधन जल्दी बनाया। यातायात की सुभिदा के लिये रमोला बन्दुओ की बस ,कश्यप साहब की बस ,नथा सिंह गरुड़ ,मालचंद रांगड का ट्रक था। जो भलड़ियाना वाली तरफ दूब गये पुल तक जाता था। ऊपर की लाइन के मकान 1967 के बाद बनाने लगे फील्ड पर बोली बाल खेला जाता था
लालाओं का सामान सड़क पर ऐसा ही रात दिन पड़ा रहता था कोई चोरी चकोरी का नाम नहीं होता था यहां ।शेष भाग अगले शनिवार को