बाबा जी की कृपा से तीर्थयात्रा पर आने वाले , पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बाबा के आश्रम के पास धन जमा कर सुरक्षित यात्रा का संदेश देता रहा।
ऋषिकेश, उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में बेहतर सुविधा के लिए और यात्रियों की सेवा हेतु चोटियों का निर्माण, 100 से अधिक धर्मशालाओं के संस्थापक 1008 स्वामी विशुद्धानंद महाराज बाबा काली कमली वाले का निर्वाणोत्सव आज दिव्यता और भव्यता के साथ मनाया गया।
दो दिवसीय आयोजित इस कार्यक्रम में सुंदरकांड का पाठ, नगर शोभायात्रा, भंडारा प्रसाद एवं श्रद्धांजलि समारोह के साथ ही आज कार्यक्रम का समापन हुआ।
रविवार को बाबा काली कमली वाले महाराज जी की गद्दी से विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। बैंड- बाजे- ढोल धमाउ, धार्मिक झांकियां शिव, पार्वती, राधा कृष्ण,और विशाल हनुमान जी की टोली सहित श्री भरत मंदिर संस्कृत विद्यालय, बाबा काली कमली वाला संस्कृत विद्यालय, नेपाली संस्कृत महाविद्यालय, वेदांग मुनि संस्कृत महाविद्यालय, पंजाब सिंध क्षेत्र साधु महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने मंत्रोच्चारण घंटे -घड़ियाल के साथ के साथ बाबा जी की सवारी क्षेत्र रोड, गोल मार्केट ,लाजपत राय मार्ग, हरिद्वार रोड, घाट रोड ,पुराने टिहरी बस अड्डा रोड होते हुए पुनः बाबा जी की गद्दी पर समाप्त हुई। जहां एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें संतों ने और बाबा जी के भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर बाबा काली कमली के महाप्रबंधक हर्षमणी व्यास ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाबाजी का निर्वाणोत्सव ऋषिकेश उत्तराखंड में आयोजित किया जाता है। इसी कड़ी में हमने इस वर्ष भी बाबा के निर्वाणोत्सव पर अनेकों धार्मिक आयोजन किया गया।
कोरोना काल के बाद पहली बार बाबा काली कमली सत्संग भवन में संतो द्वारा श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से अध्यक्षता आचार्य महामंडलेश्वर विद्यानंद पूरी कैलाश पीठाधीश्वर द्वारा किया गया। स्वामी केवलानंद महाराज , धर्मानंद महाराज, हरि गिरि, कृष्णानंद , सुंदरानंद जी महाराज सहित वक्ताओं ने बाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि काली कमली वाले बाबा को उत्तराखण्ड के तीर्थयात्रा के रास्तों पर धर्मशालाओं के निर्माण के लिए विशेष तौर पर याद किया जाता है।
इनके बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म 1831 में पकिस्तान के गुजरांवाला क्षेत्र के कोंकणा नामक गाँव में हुआ था। इनका परिवार भिल्लांगण शैव सम्प्रदाय से ताल्लुक रखता था ये लोग भगवान शिव की तरह काला कम्बल धारण किया करते थे।
पहले इन्हें श्री 1008 स्वामी विशुद्धानंद जी महाराज काली कमली वाले बाबा के नाम से जाना जाता था। इनके विशुद्धानंद बनने के बारे में यह कहानी बताई जाती है कि जब ये पहली बार हरिद्वार आये तो इनके मन में सन्यासी बनने की इच्छा बलवती हो गयी। इन्होंने अपने घरवालों के सामने अपनी यह इच्छा जाहिर की तो उन्होंने इसकी अनुमति नहीं दी गई। लेकिन इसके कुछ समय बाद ये बनारस पहुँच गए और वहां पर स्वामी शंकरानंद से संन्यास दीक्षा लेकर स्वामी विशुद्धानंद बन गए।
एक दिन अपने गुरु से आज्ञा लेकर विशुद्धानंद उत्तराखण्ड की चार धाम यात्रा के लिए निकल पड़े। अपनी इस यात्रा में इन्होंने देखा कि तीर्थ यात्रियों और साधु-संतों आदि के भोजन, पेयजल, आवास और चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है। इस वजह से तीर्थ यात्रा और भी ज्यादा कठिन हो जाती है। स्वामी विशुद्धानंद ने काली कमली ओढ़कर पूरे देश की यात्रा शुरू की। उन्होंने धार्मिक लोगों से यात्रा मार्ग के लिए संसाधन जुटाने का आह्वान किया।
इनकी प्रेरणा से चारधाम यात्रियों के लिए सुविधाएँ और साधन जुटने शुरू हो गए, काली कमली के नाम पर हिमालयी नदियों पर पुलों का निर्माण किया जाने लगा। श्रद्धालुओं के लिए साधन जुटना शुरू हो गए।
स्वामी विशुद्धानंद ने 33 सालों तक मानव सेवा का कार्य किया। 1937 में उन्होंने ऋषिकेश में धार्मिक व परोपकारिणी संस्था ‘काली कमली वाला पंचायत क्षेत्र’ की स्थापना की। इस क्षेत्र द्वारा ऋषिकेश,उत्तरकाशी, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, प्रयागराज आदि स्थानों पर प्रतिदिन हजारों जरुरतमंदों को भोजन कराया जाता है। संस्था द्वारा ऋषिकेश व रामनगर में पूर्ण विद्यालयों का संचालन भी किया जाता है। यहाँ छात्रों के भोजन व आवास कि नि:शुल्क व्यवस्था है! इसके अलावा भी आश्रम, सत्संग भवन, पुस्तकालय, निर्धन छात्रों के आवासीय संस्कृत,वेद विद्यालय गौशाला आदि का संचालन किया जाता है।
कहा जाता है कि 1953 में विशुद्धानंद महाराज अन्न देवी अन्नपूर्णा महारानी के साथ बैठे हुए थे और अचानक उठकर अन्नपूर्णा देवी से बोले कि मैं अभी आया और कैलाश यात्रा के लिए निकले जिसके बाद से इन्हें नहीं देखा गया है. आज भी बाबा काली कमली संस्थान में कोई भी भूखा प्यासा आता है तो वहां उनकी कोई कमी नहीं रहती है और पेट भर कर लंगर प्रसाद ग्रहण कर अपने गंतव्य के लिए निकलता है।
आज इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नगर निगम ऋषिकेश मेयर अनीता मंमगाई, महाप्रबंधक हर्ष मणि व्यास, त्रिलोकी नाथ तिवारी ,सतीश चंद्र पंत, अरुण कुमार झा, आशुतोष शर्मा, राजेश रियाल, राजेश जोशी, वेद प्रकाश, मनोज शर्मा, विक्रम गुप्ता, विनय गुप्ता, हरि सिंह रावत, पुष्कर सिंह कठैत, रमेश तिवारी ,डॉक्टर गिरीश चंद्र पांडे, डॉक्टर दीपक उनियाल, हरिश्चंद्र पांडे, विकास कोठारी, मुकेश भट्ट, शैलेंद्र बहुगुणा, पूर्व पार्षद प्यारेलाल जुगरान, पार्षद रीना शर्मा, राकेश मियां ,पंडित वेद प्रकाश शर्मा ,सुरेंद्र प्रसाद शर्मा पुजारी जी, संतराम, राजेंद्र प्रसाद ,राजीव चौहान, गोविंद पात्रा,कुवर सिंह, बाबा काली कमली वाले संस्थान सहित हजारों लोग उपस्थित थे।