आमेरिका डॉलर (US $) और भारतीय Rs.(INR) बराबर क्या हो सकते है राजेश्वर पैन्यूली उत्तराखंड राजनीतिक स्वाभिमान मंच के प्रवक्ता कहा कि
नहीं एसा कभी भी सम्भव नहीं है,जो लोग ये सब बात करते हैं की 1947-48 में रुपये 1/-=US $ 1/- था, वो जनता की नब्ज पहचानते हैं और सिर्फ़ उनकी भावनाओं को भटका कर अपनी राजनीति की रोटी सेकते हैं l
अब समझे वो क्यों नहीं हो सकता l अमेरिका 1947 मे भी विकसित देश था और आज भी है l सामान्य आदमी की तरह समझे कि हम 1947 मे एक रुपये में 20-30 किलो गेहूँ या चावल खरीद सकते थे और तब शायद 1 US $ मे भी इतना ही सामान आता होगा l सोना ( Gold) भी लगभग समान कीमत का रहा होगा दोनो देश मे l
अब आज की तारिख मे ये स्थिति है अब शायद
Rs.20-22 का एक किलो गेहूँ होगा जबकि 1US $ मे 4-5 किलो गेहूँ आ जाता होगा l
मतलब आज भी देखें तो लगभग जो आपको 70 रुपये मे वही मिलता है जो 1US $ मे मिलता हैं. .l
इसको कहा जाता है क्रय शक्ति किसी भी मुद्रा की lऔर हर विकासशील देश को एसे ही आगे बढना पड़ता है l आप गूगल पर जापान की मुद्रा भी देख लें उसके क्या हाल थे 1947-48 और आज क्या हैं l
मैने जो उदाहरण दिया है वो सिर्फ़ समझाने के लिए दिया हैl एसे ही हजार वस्तुए होती हैं जिन सबका मिला जुला प्रभाव पड़ता है किसी भी देश की मुद्रा पर l
मुद्रा सिर्फ़ सरकार पर जनता के भरोसे का प्रतीक होती है l एसा कुछ नहीं होता कि आप आज सरकार को रुपये दे दो और वो सबको सोना या अनाज आदि दे देगीl
फ़िर श्री मोदी & कंपनी एसा क्यों बोलते थे 2014 के चुनाव भाषण मे कि रूपया बिमार हो गया या हम इसे US $ के बराबर कर देंगे आदि आदि?
वो सिर्फ़ लोगो की भावनाओं से खेल कर सत्ता मे आ गये और खुद भी कुछ नहीं कर पा रहे..l _क्योंकि एसे कुछ सम्भव ही नहीं है l प्रधानमंत्री ने उलट हालत और खराब होने के आसार बना देये हैं पूरी आर्थिक स्थिति को खराब करके l किसी भी समय एसा हो सकता है कि Rs. 75 से भी नीचे गिर सकता है l इसलिए स्विस बैंक मे लोगो की जमा राशि बढ गयी है , क्युकि समझदार लोगों को पता है कि भारतीय Rs. का इस सरकार मे क्या वास्तविक हालात हैं l
रुपये या मुद्रा सिर्फ़ सरकार पर जनता का भरोसे का प्रतीक होती है l Crypto Currency जिसे सरकार ने अवैधानिक घोषित किया है वो भी सब कुछ लुटाने के बाद , फ़िर भी ये मुद्रा भारत मे रुपये के स्थान लेने की दौड़ मे आज भी है l एसे ही ईस्ट इंडिया अपना रुपया भारत मे ले कर आयी थी और उस समय के राजा ,महाराजा, बादशाह ,नवाब आदि की मुद्रा पर जनता का विश्वास खत्म हुआ और अंग्रेज सत्ता मे घुस गए और अपनी महारानी विक्टोरिया वाली मुद्रा चला दी l यहाँ आपको ये भी बता दू कि 1940-45 में अमेरिका के द्वारा चलाये गये जर्मन की मुद्रा मार्क पर जर्मन की जनता को ज्यादा विस्वास था ना कि हिटलर के मार्क पर..l
अगला विश्व युद्ध, कहा जाता है कि सैना नहीं ,आर्थिक लडाई से लडा जायेगा और हमसमसंग नोएडा की मे फैक्टरी का उद्घाटन करके खुश हो रहे हैं l सीऐम साहब बोल रहे हैं कि 22000 नौकरिया लोगो को मिलेंगी , PM साहब बोल रहे कि 76000 लोगों को रोजगार मिलेगा l मगर कोई नहीं बता रहा कि ये सिर्फ़ भारत मे बनना(Manufacturing in India) है ना कि ( Make in India )भारत मे बना हुआ और इस एक फैक्टरी के लगने से 4-5 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे वो नहीं बता रहे हैं l हार्डवर्क से गढ्डा तो खोदा जा सकता है पर ग़ढ्डे का इस्तेमाल कब कैसे और किस लिये हो सकता है वो पढ़े लिखे जानकार तजुर्बेकार ही कर सकते हैं l वो ग़ढ्डा खोदने से पहले ही तैयारी कर लेते हैं. ना कि गढ्डा खोद दो और जब उसमे लोग गिरने लगे तब लोगों को समझाओ l कभी बोलो की सेम/ कभी आम का आदि का पेड़ लगाने को खोदा है ये गढ्डे़ कभी बोलो कि भ्रष्टाचारियो की कब्र बनाने के लिये है l
श्री मोदी और कम्पनी सिर्फ़ लोगों को गुमराह करके और भावनाओं से खेल कर सत्ता मे आयी है l विकास की राह मे गढ्डे ही गढ्डे खोद दिये हैं. और अब कभी ये और कभी वो समझाते है कि पूजा कैसे होगी , ना इन्हे हिन्दु संस्कृति से कुछ लेना देना है और सच तो ये है कि इन्हे पता भी नहीं की हिन्दू संस्कृति है क्या? भगवान केदारनाथ मंदिर मे उनकी तरफ़ पीठ करके राजनीतिक भाषण देते है.. जहाँ हम लोग पूजा के लिये जाते है | श्री मोदी और कम्पनी से पूछे की विकास के लिए क्या किया 4 सालो से अधिक समय सत्ता मे रहने के बाद भी , ना कि हमे ये समझाये की मन्दिर केसे बनेगा वो धर्मगुरुओ का काम उन्ही को करने दिजिये l
राजेश्वर पैन्यूली_