लोकायुक्त को लेकर प्रदेश में राजनीती तेज
प्रदेश में लोकायुक्त को लेकर चल रहे उठा पटक को ले कर फिर से राजनीती तेज हो चुकी है तमाम आपत्तियों और सवालों के साथ वापस लौटी लोकायुक्त की फाइल को दोबारा राजभवन भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। फाइल में दर्ज आपत्तियों के निराकरण के संबंध में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के बीच चर्चा हुई है। इसके बाद अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही फाइल शासन से रवाना की जाएगी। उधर, मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकायुक्त के चयन की कार्रवाई आराम से होने पर विपक्ष को बेवजह परेशानी हो रही है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जेसीएस रावत का नाम लोकायुक्त के लिए फाइनल करके राज्यपाल को फाइल भेजी गई थी। लेकिन, राजभवन ने तमाम आपत्तियों के साथ फाइल को वापस कर दिया। सूत्रों के मुताबिक राजभवन ने गाजियाबाद में हुए सात करोड़ के पीएफ घोटाले में जस्टिस रावत पर उठी उंगलियों से जुड़े सवाल किए हैं।
पूछा गया है कि कि क्या यह जांच समाप्त हो चुकी है और संबंधित व्यक्ति को क्लीन चिट मिली है या नहीं। यदि क्लीन चिट मिल चुकी है तो कब और किसने दी। इससे प्रमाण के साथ जवाब मांगे गए हैं। वहीं जस्टिस रावत की आम छवि के बारे में भी तमाम सवाल पूछे गए हैं। इधर एक बार फिर फाइल वापस होने से शासन में खलबली मच गई।
आनन-फानन में मुख्य सचिव ने राजभवन की आपत्तियों के संबंध में जानकारी ली और उनके निराकरण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक फाइल फिर से राजभवन को रवाना होगा। उधर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राजभवन से कुछ क्वैरी लगकर फाइल वापस आई है। जल्द ही जवाब देकर फाइल भेजी जाएगी।