देहरादून। फर्जी कॉल सेंटर के जरिये दक्षिणी राज्यों के सैकड़ों युवकों को लाखों की चपत लगा चुके गिरोह का रविवार को एसटीएफ ने भंडाफोड़ कर दिया। एसटीएफ ने गिरोह के मास्टरमाइंड समेत तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। तीनों के बैंक अकाउंट में लगभग 50 लाख रुपये की रकम जमा है, जो बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर ऐंठी गई।
एसएसपी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल के अनुसार एक माह पहले सूचना मिली थी कि देहरादून में चल रहे एक कॉल सेंटर के संचालकों ने तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, मुंबई आदि राज्यों के सैकड़ों युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की है।
इंस्पेक्टर संदीप नेगी व विनोद गुसाईं के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच शुरू की गई तो पता चला कि बेरोजगार युवकों ने जिन बैंक खातों में रकम जमा कराई थी, वह सब फर्जी नाम-पतों पर थे। मगर इस दौरान कुछ ऐसे क्लू मिले, जिससे जालसाजों की लोकेशन ट्रेस कर ली गई।
यह लोकेशन डिफेंस कॉलोनी में मिल रही थी। टीम ने इंदरपुर में बद्रीपुर रोड स्थित एक दुकान में छापा मारा तो पता चला कि कॉल सेंटर इसी दुकान से चलाया जा रहा था।
मौके से गिरोह के मास्टरमाइंड दीपक परिदार पुत्र जगदीश परिदार निवासी विष्णुपुरम मोथरोवाला मूल निवासी ग्राम बागरो जिला रतलाम (मध्य प्रदेश), आदेश सिंह पुत्र श्याम सिंह निवासी बड़ोवाला पोस्ट ऑफिस के पास शिमला बाईपास व पंकज कपूर पुत्र स्व. देवेंद्र कपूर निवासी लेन नं. 13 ओगल भट्टा क्लेमेनटाउन को गिरफ्तार कर लिया गया।
कॉल सेंटर से एक लैपटॉप, प्रिंटर, सात मोबाइल फोन, 10 सिम कार्ड, पांच बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, एटीएम कार्ड और मॉन्सटर डॉट कॉम से निकाले गए दस्तावेज व कॉल किए गए नंबरों की सूची बरामद हुई है। एसएसपी ने टीम को ढाई हजार रुपये का इनाम भी दिया है।
दक्षिण में करते थे वेबसाइट का प्रचार
मास्टरमाइंड ने बेरोजगारों को झांसे में लेने के लिए टाइम्सजॉब डॉट कॉम व मॉन्सटर डॉट कॉम के नाम से फर्जी वेबसाइट बना रखी थी। इसका प्रचार-प्रसार सिर्फ दक्षिण के राज्यों में किया था ताकि शक होने पर भी कोई शिकायतकर्ता उन तक न पहुंच सके।
यह सेंटर पिछले डेढ़ साल से इसी वजह से चलता भी रहा। बेरोजगार युवकों से संपर्क करने के लिए गिरोह ने पांच लड़कियों को काम पर रखा था। एसटीएफ इन युवतियों से भी गिरोह के बारे में जानकारी जुटा रही है।
ऐसे ऐंठते थे रुपये
वेबसाइट पर बेरोजगारों के संपर्क करने पर पहले रजिस्ट्रेशन के लिए 1900 रुपये की मांग की जाती। रजिस्ट्रेशन के बाद 5600 रुपये वेरीफिकेशन और उसके बाद अकाउंट खोलने के नाम पर 10 हजार रुपये ऐंठे जाते थे। पूछताछ में सामने आया है कि गिरोह अब तक 40 से 50 लाख रुपये की ठगी कर चुका है।