संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हेम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में हस्ताक्षर किए गए शासकीय आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। शासकीय आदेश का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिग से निपटने के लिए पिछली ओबामा सरकार द्वारा जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से दूर रहने के फैसले को वापस लेना था।
रूस के अरखांगेलस्क से ई-मेल के माध्यम से सोल्हेम ने आईएएनएस से कहा कि ट्रंप अभी भी इसी उधेड़बुन में हैं कि 2015 पेरिस जलवायु समझौते का हिस्सा रहा जाए या नहीं। सोल्हेम ने उम्मीद जताते हुए कहा, “पेरिस समझौता बेहद सफल रहा है और हम इसके लिए अमेरिका का शुक्रिया अदा करते हैं तथा उम्मीद करते हैं कि ट्रंप सरकार इसे बरकरार रखेगी।” उन्होंने कहा, “इस बात पर जोर देना अत्यावश्यक है कि जलवायु परिवर्तन के बेहद गंभीर तथा बेहद वास्तविक मुद्दे पर किसी भी देश द्वारा अपने रुख में बदलाव लाने का अब वक्त नहीं रह गया है।”
ट्रंप ने जिन पहलों को रद्द किया है, उनमें स्वच्छ विद्युत योजना शामिल है। इस योजना के तहत अमेरिका को दिसंबर 2015 में पेरिस समझौते के तहत जताई गई कटिबद्धता पूरी करने के लिए ऊर्जा उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधनों में कटौती करनी होगी। दिसंबर 2015 में कुल 197 देशों ने वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस तक कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर सहमति जताई थी। ओबामा ने साल 2005 की तुलना में साल 2025 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 26 फीसदी की कटौती का संकल्प लिया था।