देहरादून, सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में मामूली राहत भले ही दी हो, लेकिन साथ में बिजली टैरिफ बढ़ाने का रास्ता साफ कर जनता को झटका भी दिया है। राज्य की 1252 मेगावाट की नौ बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर रायल्टी और सेस की वसूली के मानक बदलने पर मुहर लगाई गई है।
अब जलविद्युत निगम की जिन परियोजनाओं का टैरिफ दो रुपये प्रति यूनिट तक है, उनसे उत्पादित बिजली पर 30 पैसे उपकर और 10 पैसे रायल्टी प्रति यूनिट की दर से वसूल की जाएगी। इससे पहले यह मानक 80 पैसे प्रति यूनिट तक लागू था। इससे प्रदेश के 20 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर 15 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार पड़ सकता है।
दरअसल, राज्य सरकार ने उपकर और रायल्टी का फायदा मिलने में पेच फंसने के चलते यह कदम उठाया है। राज्य सरकार ने 80 पैसे प्रति यूनिट से कम लागत पर उत्पादित होने वाली जलविद्युत परियोजनाओं पर उपकर और रायल्टी लगाने की व्यवस्था की थी।
इस प्रावधान के साथ यह भी जोड़ा गया था कि परियोजना दस वर्ष पुरानी होनी चाहिए। इस वजह से राज्य की फिलवक्त नौ बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं ही इसके दायरे में आ रही हैं। मनेरीभाली फेज-टू परियोजना को अभी सिर्फ नौ साल ही हो रहे हैं।
लिहाजा दस वर्ष की समय अवधि के दायरे में उसे लाने के लिए एक वर्ष शेष है। नौ बड़ी परियोजनाओं से उत्पादित बिजली का टैरिफ वर्तमान में 80 पैसे प्रति यूनिट से कम नहीं पड़ रहा है। यह टैरिफ 80 पैसे से अधिक तकरीबन 1.72 रुपये प्रति यूनिट पड़ रहा है।
इस वजह से उक्त परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर रायल्टी और सेस वसूल करने में परेशानी पेश आ रही थी। लिहाजा मंत्रिमंडल ने इसे प्रति यूनिट दो रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया है।
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