उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस कर्णन को कोर्ट की अवमानना के लिए 6 महीने की सज़ा सुनाई है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर के नेर्तित्व वाली सात जजों की पीठ ने जस्टिस कर्णन को अवमानना के अलावा अदालत और अदालती प्रक्रिया के दुरुपयोग का दोषी ठहराया। पीठ ने कहा, हमारे लिए सब बराबर हैं, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि अवमानना करने वाला वर्तमान या पूर्व जज हो या कोई आम आदमी। हम जस्टिस कर्णन को भारत का नागरिक मानते हैं। कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के दलित कार्ड खेलने को शर्मनाक बताया।
इसके साथ ही कोर्ट ने मिडिया पर जस्टिस कर्णन के किसी भी नए आदेश को प्रसारित करने पर पाबन्दी लगा दी है।कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने पीठ के समक्ष कहा कि जस्टिस कर्णन जो कर रहें हैं वो माफ़ी लायक नहीं है। उन्हें सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। साथ ही ये भी कहा की जस्टिस कर्णन अगले माह सेवानिवृत हो रहें हैं लिहाज़ा इसके बाद उन पर करवाई की जाए। पीठ ने उनके इस आग्रह को ठुकराते हुए पचिम बंगाल के डीजीपी को जस्टिस कर्णन को हिरासत में लेकर जेल भेजने का आदेश दिया। ऐसा पहली बार होगा जब किसी जज को पद पर रहते हुए सज़ा दी गई है।