पूर्वोत्तर के इस सुदूरवर्ती राज्य के हफ्ते भर के दौरे के दूसरे दिन संवाददाताओं से बात करते हुये दलाई लामा ने कहा, ”भारत ने कभी भी चीन के खिलाफ मेरा इस्तेमाल नहीं किया। मैं प्राचीन भारतीय विचारों का दूत हूं और मैं जहां भी जाता हूं वहां अहिंसा, शांति, सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष नैतिकता का संदेश देता हूं।”
81 वर्षीय दलाई लामा की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब चीन यह आरोप लगा रहा है कि भारत ने उसकी चिंताओं की उपेक्षा कर ”दुराग्रहपूर्वक” चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के ”विवादित इलाकों” में उनका दौरा कराया जो उसके हितों और द्विपक्षीय रिश्तों को ”गंभीर नुकसान” पहुंचा रहा है। दलाई लामा ने चीन से कहा कि वह तिब्बत को अर्थपूर्ण ”स्व-शासन” और ”स्वायत्तता” दे। अपने अरूणाचल दौरे को लेकर चीनी विरोध से बेपरवाह दलाई लामा ने कहा, ”कई चीनी भारत से प्यार करते हैं लेकिन जैसा कि मैंने कहा कुछ संकीर्ण सोच वाले राजनेता हैं, वो मुझे दैत्य मानते हैं।”