नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आज पार्टी प्रमुख के रूप में तीन साल हो गये। तीन साल की इस अवधि में पार्टी का तेजी से विस्तार हुआ और इसने गोवा, मणिपुर तथा अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बहुमत न होने के बावजूद कुछ राजनीतिक गुणाभाग से सत्ता प्राप्त कर ली। धुरंधर रणनीतिकार के रूप में देखे जाने वाले शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दाहिना हाथ माना जाता है। दोनों ने भाजपा को ऐसी ऊंचाई पर पहुंचा दिया है जिसकी 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
जनता में मोदी की लोकप्रियता और शाह के संगठनात्मक कौशल का नतीजा यह हुआ कि आज 18 राज्यों में भाजपा या गठबंधन सहयोगियों के साथ इसकी सरकार है। गुजरात से ताल्लुक रखने वाले 52 वर्षीय शाह जहां पार्टी प्रमुख के रूप में चौथे साल में प्रवेश करेंगे, वहीं उन्होंने गुजरात से राज्यसभा सदस्य के रूप में पहली बार संसद में भी प्रवेश किया है।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार ने कहा, ‘‘उनके (शाह) प्रदर्शन पर कोई सवालिया निशान नहीं है। यदि कुछ नाटकीय नहीं होता है तो मुझे 2019 में भाजपा के सामने कोई चुनौती दिखाई नहीं देती है।’’ उन्होंने शाह की तीन साल की कार्यावधि को ‘‘शानदार’’ करार दिया। राजनाथ सिंह के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद शाह को जुलाई 2014 में पार्टी प्रमुख बनाया गया था, लेकिन भाजपा की राष्ट्रीय परिषद ने उस साल नौ अगस्त को इस पर मुहर लगाई थी।