मोदी के मुताबिक, “हम हमेशा कर्नल निजामुद्दीन के आदर्श, साहस, और देशभक्ति को याद करेंगे, जिसने आजादी की लड़ाई को मजबूती प्रदान की.”
आजाद हिंद फौज के सेनानी निजामुद्दीन ‘कर्नल’ के रूप में जाने जाते थे. लंबी बीमारी के बाद उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के ढकवा गांव में उनका निधन हो गया.
साल 1901 में जन्मे निजामुद्दीन ने आजाद हिंद फौज का गठन होने पर सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर व अंगरक्षक के रूप में काम किया. भारत को आजाद कराने के मकसद से बोस जब हिटलर से सहायता मांगने गए तो निजामुद्दीन भी उनके साथ थे.
बोस की थाईलैंड, मलेशिया और सिगांपुर की यात्रा के दौरान भी निजामुद्दीन उनके साथ मौजूद रहे.
दोपहर बाद कर्नल के शव को गांव के कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया गया. कर्नल निज़ामुद्दीन के निधन से सबकी आंखें नम थीं. कर्नल निज़ामुद्दीन का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.
सोमवार की अलसुबह कर्नल निज़ामुद्दीन उर्फ सैफुद्दीन का निधन हो गया. इससे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी. लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करने उनके पैतृक आवास ढ़कवा गांव में पहुंचने लगे. नेता सुबाष चन्द्र बोस के चालक एवं अंगरक्षक कर्नल निज़ामुद्दीन के जनाज़े में भारी संख्या में लोग शरीक हुए. नमाज़े जनाज़ा मौलाना अबुल वफा ने पढ़ाई.
इसके बाद उनके शव को कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया. इससे पूर्व जिलाधिकारी सुहास एलवाई, पुलिस कप्तान आनंद कुलकर्णी, डीडीसी ऋतु सुहास, एसडीएम सदर अभय कुमार मिश्र, तहसीलदार रत्नेश तिवारी के अलावा अखिलेश यादव, विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डु जमाली, कांग्रेस नगर अध्यक्ष मुख्तार अहमद जे, जिला महामंत्री रामअवध यादव, महाप्रधान जियाउल्लाह अंसारी, विरेंद्र यादव आदि लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त कर श्रद्धासुमन अर्पित किए.