ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के विभिन्न रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 2015-16 में 9.38 लाख तक पहुंच चुकी है . पांच साल पहले यह संख्या 5.65 लाख थी. गौरतलब है कि 2015-16 के एक ही वर्ष में 2.03 लाख नये बेरोजगार पंजीकृत हुए हैं.
आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाये तो हर साल औसतन एक लाख युवा बेरोजगारों की सूची में जुड़ते जा रहे हैं . हालांकि, इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सरकार ने कितने बेरोजगारों को रोजगार दिलवाया लेकिन 2015-16 में रोजगार एक्सचेंजों के जरिये 349 युवाओं को रोजगार मिला है.
बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर अपने घोषणापत्र में युवाओं के लिये कई बड़े-बड़े वादे किये हैं जिसमें सभी बेरोजगार युवाओं को सरकार गठन के 100 दिन के भीतर 2500 रपए बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी शामिल है .
वर्ष 2012 में भी कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में तीन वर्ष से लगातार रोजगार कार्यालयों में राज्य के पंजीकृत बेरोजगारों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप 750 से 1500 रूपए की धनराशि प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ते के रूप में देने का वादा किया था हालांकि, सरकार बनने के तुरंत बाद इस 1500 रूपए की धनराशि को घटा कर 1000 कर दिया गया था . बाद में हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस बेरोजगार भत्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया.
इस बारे में रावत ने कहा था कि उनकी सरकार ने भत्ता देने की बजाय युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कितने युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये.