ट्रंप ने मंगलवार रात को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, “मेरा काम दुनिया का प्रतिनिधित्व करना नहीं है. मेरा काम अमेरिका का प्रतिनिधित्व करना है.” ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ की अपनी नीति का थोड़ा नरम पक्ष रखते हुए कहा कि अमेरिका ‘अन्य देशों के संप्रभुता के अधिकार का सम्मान करेगा।’
उन्होंने कहा, “आजाद देश में ही जनता अपनी इच्छा व्यक्त कर सकती है और अमेरिका सभी देशों द्वारा अपना रास्ता चुनने के अधिकार का सम्मान करता है.” उन्होंने कहा, “लेकिन, हम जानते हैं कि अमेरिका का हित इसी में है कि दुनिया में कम संघर्ष हो।”
ट्रंप ने अलग-थलग पड़ने की बात करने के बजाए कहा, “हमारी विदेश नीति दुनिया के साथ सीधा, मजबूत और सार्थक रिश्ता रखने की है. इसके लिए अमेरिका नए दोस्त तलाशेगा, साझा हितों के आधार पर नई भागीदारियां बनाएगा. हम सौहार्द और स्थिरता चाहते हैं, जंग और संघर्ष नहीं।”
अमेरिकी नेतृत्व के बारे में उन्होंने कहा, “यह दुनियाभर के हमारे सहयोगी देशों के साथ हमारे महत्वपूर्ण सुरक्षा हितों पर आधारित है।”
राष्ट्रपति ने नाटो और अन्य सहयोगियों के प्रति समर्थन जारी रखने के आश्वासन के साथ फिर अपनी शर्त दोहराते हुए कहा कि सभी देशों को इसके लिए आर्थिक भागीदारी का दायित्व निभाना चाहिए. उन्होंने कहा, “और अब, हमारी बेहद मजबूत और मित्रवत चर्चा के बाद वे ऐसा ही करने लगे हैं।”
ट्रंप ने कहा, “हम नाटो से लेकर मध्य पूर्व और प्रशांत तक सामरिक और सैन्य अभियानों में अपने साझेदारों की सीधी और सार्थक भूमिका की उम्मीद करते हैं और साथ ही चाहते हैं कि वे इसमें समुचित आर्थिक भागीदारी निभाएं।”