अदालत का मानना है कि इस मुद्दे पर तलाक देते समय महिला के पति ने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया, इसलिए यह तलाक विधि विरद्ध है। पीड़ित महिला के वकील अरविंद गौड़ ने सोमवार को कहा, ‘उज्जैन कुटम्ब अदालत के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश ओमप्रकाश शर्मा ने अपने आदेश में कहा है कि ‘तौसीफ शेख द्वारा अर्शी खान को नौ अक्तूबर 2014 को दिया गया तलाक अवैध, प्रभावहीन एवं शून्य है।’
गौड़ ने बताया कि उज्जैन निवासी अर्शी एवं देवास के रहने वाले तौसीफ का निकाह 19 जनवरी 2013 को हुआ था तथा उसके कुछ समय बाद ही वह पत्नी से दहेज की मांग करने लगा। जब उसकी मांग को ठुकरा दिया गया, तो वह अर्शी को मानसिक रूप से परेशान करने लगा। उन्होंने कहा कि इससे परेशान होकर महिला अपने पति का घर छोड़कर अपने मायके उज्जैन वापस आ गई। बाद में उसने अपने पति के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के तहत मुकदमा दायर कर दिया, जो अब भी अदालत में विचाराधीन है।