महराजगंज। नेपाल के नागरिकता अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव का वहां तराई के 22 जिलों में विरोध शुरू हो गया है। भारतीय सीमा से लगे भैरहवा सहित कई स्थानों पर लगातार दूसरे दिन जमकर प्रदर्शन हुए।
प्रस्तावित संशोधन के बाद नेपाल में शादी करने वाली किसी भी विदेशी महिला को नागरिकता के लिए सात साल इंतजार करना होगा। हालांकि यह नया नियम सभी देशों की महिलाओं पर लागू होगा लेकिन हाल में बिगड़े रिश्तों के मद्देनजर बहुत से लोगों का मानना है कि यह भारत को निशाना बनाने के लिए किया गया है। भारत-नेपाल के बीच सदियों से रोटी-बेटी का रिश्ता है।
नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता मंगलवार को संयुक्त रूप से भैरहवा की सड़कों पर उतरे। मिली जानकारी के अनुसार काठमांडू और पोखरा में भी प्रदर्शन हुए। भैरहवा में सड़क पर विरोध जुलूस निकाला गया। इस प्रस्तावित संशोधन वापस लेने की मांग की गई। कांग्रेस नेता प्रमोद यादव ने कहा कि इस कानून के लागू होने से भारत से सदियों पुराना रोटी-बेटी का सम्बन्ध खत्म हो जाएगा।
इस कानून के बाद नेपाल में करने वाली भारतीय लड़की को सात साल बाद नागरिकता मिलेगी। इससे भारतीय लोग नेपाल में संबंध करने से घबराएंगे। जनता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता विद्या यादव ने कहा कि इस नियम से भारत की पढ़ी-लिखी लड़कियों को नेपाल में विवाह करने से नुकसान होगा क्योंकि शादी के सात साल बाद नागरिकता मिलेगी और तब तक सरकारी नौकरी की उम्र करीब-करीब खत्म हो जाएगी।
भैरहवा के विधायक संतोष पांडेय ने कहा कि प्रस्तावित नियम के जरिए जहां भारत से सम्बन्धों को खत्म करने की साजिश हो रही है, वहीं मधेशी जनता के अधिकारों को भी सीमित किया जा रहा है। कहा कि राजा-रजवाड़े और बड़े नेताओं के विवाह भारत में हुए हैं। कभी किसी भारतीय महिला ने आज तक के इतिहास में राष्ट्रद्रोह नहीं किया है। कहा कि नेकपा जनता में अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए श्बांट करो और राज करोश् की राजनीति कर रही है। अंगीकृत नागरिकता कानून को किसी भी हाल में लागू नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए मधेशी जनता हर कुर्बानी के लिए तैयार हैं।