नई दिल्ली : गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार को देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि हम सभी 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान संकल्प से सिद्धि के भाव के साथ कार्य करें और दुनिया के देशों के लिये आज की स्थिति में उसी प्रकार से प्रेरणा बनें जैसा 1942 के आंदोलन के बाद 1947 के समय भारत ने दुनिया को प्रेरित किया था। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कहा कि आज जब हम 2017 में हैं तब मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता हूं कि आज हमारे पास गांधी हैं, आज हमारे पास उस समय की ऊंचाई वाला नेतृत्व नहीं है लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ हम उस सपने को पूरा कर सकते हैं जो उन्होंने देखा था।
मोदी ने कहा कि हमारी आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था। उस समय 1942 के आंदोलन के बाद जब हमें आजादी मिली तब यह केवल हमारे देश की आजादी नहीं थी, बल्कि इसने अफ्रीका से दुनिया के अनेक देशों को प्रेरणा देने का काम किया। एक के बाद एक कई देश इसके बाद आजाद हुए। उन्होंने कहा कि गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण हमारे देश के सामने बड़ी चुनौतियां, हमें सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार हमारी राजनीति को अंदर से खोखला कर रहा है, हम गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार से देश को मुक्त बनाने का संकल्प लें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि में हम उसी भावना और संकल्प के साथ काम करें जो भाव 1942 से 1947 के बीच पांच वर्ष की अवधि के दौरान था। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1942 में ‘करो या मरो’ के नारे ने पूरे देश को प्रेरित किया, उसी प्रकार से हम ‘करेंगे और करके रहेंगे’ का संकल्प लें और 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान संकल्प से सिद्धि के भाव के साथ कार्य करें और गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टचार की चुनौती से लड़ने और उसे दूर करने का कार्य करें।