सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, ‘आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे भारत और पाकिस्तान को एससीओ(चीन के नेतृत्व वाले शंघाई सहयोग संगठन) का सदस्य बनने के लिए कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे और एससीओ नियमों के अनुरूप काम करने का संकल्प लेना होगा। इन नियमों में वर्ष 2015 में हस्ताक्षरित सीमा रक्षा सहयोग से जुड़ा एससीओ सदस्य देशों का समझौता भी शामिल है।’
लेख में कहा गया है, ‘एससीओ में दो देशों के प्रवेश से बुनियादी ढांचों और आतंकवाद-विरोधी प्रयासों आदि में भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।’