लिखवार गावँ, टिहरी गढ़वाल,समाज में जिन्हें आवारा नाम दिया जाता है या रहे वहीं असली समाज सेवी रहे हैं, मानव के बाद उनमें कुते ही हैं जो बिना भेदभाव के जन सेवा सही ,2 समय पर करते हैं ।
भारत देश में आदमी का आधार कार्ड बनाने में दस लफड़े हैं जिससे अभी तक 7 साल से कार्ड बनाने में समय लगता जारहा है।पर पैसों वालों के कुत्तों को आम आदमी से ज़्यादा तबज्जो देकर उसका आधार कार्ड नंबर आजाता है।
आधार कार्ड वाले कुत्ते कुछ नहीं कर सकते हैं।बिना खाये पिये समाज की सेवाओं को देने के लिए तत्पर रहते हैं।
जिनकी वजह से चोर मोहल्लों में असानी से चोरी करने के लिए बड़ी चुनौती का कार्य करते हुए भी नही घुस पाते हैं। आवारा कुत्ते घटना होने नहीं देते हैं।वह अनजान व्यक्ति से भौंकने सुरु करते हैं।जिससे घटना रूक जाती है।जब वारदात हो जाती है ।तब पुलिस को सूचित किया जाता है। जब घटना घटित होती है। उस समय कोठियों में हजारों रुपये का खाना खाने वाले कुत्ते दुम दबाकर सोये रहते हैं।इनके लिए बजट नहीं होता है।ये हमारे सच्चे प्रेम से सेवक है।
इनको सरकार से पुलिस विभाग को बजट देना चाहिए क्योंकि यही हमारी सुरक्षा में पुलिस विभाग की मदद करते हैं। कुत्ते हैं जो काफी समय पहले होने वाली घटनाओं से वाकिफ होजाया करते हैं मुझे 20 अक्टूबर2991 की बात है। उस दिन खेती के काम पर खेतों में गये कुतों ने किसी का दीया हुआ रोटी का टुकड़ा नहीं खाया।उसी रात को भूकम्प गया। कोरेना महामारी के बजह से शहर में होटलों में काम नहीं चलने की वजह से कुतों की भुखमरी की नोबत गई है। उनको भी जीने का अधिकार है।उत्तराखंड तो कई रिजर्व सेंचुरी का प्रदेश है।भारत में जल्द कोरेना से छुटी जनता को मिले ।बेजान समाज सेवक कुतों के लिए भोजन मिलना सुरु होगा यही इनके जीवन रक्षा के लिए भैरव भगवान से प्रार्थना करते हैं।