केंद्र ने 27 अप्रैल को बेंच से कहा था कि डाटा की रक्षा के लिए एक नियामक व्यवस्था बनाने पर काम चल रहा है क्योंकि व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता की पसंद की सुरक्षा किए जाने की जरूरत है। केंद्र ने कहा था कि वॉट्सऐप का डाटा सेफ नहीं है और यह कथित तौर पर मौलिक अधिकारों का हनन करती है। इस मामले पर जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस अमिताभ रॉय, जस्टिस ए एम खानविल्कर और जस्टिस एम एम शांतनगौदर की बेंच सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ता कारमन्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बेंच के सामने उन सवालों को रखा था जिनपर इस मामले में सुनवाई करने की आवश्यकता है। वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी का उल्लेख करते हुए साल्वे ने कहा था कि किसी यूजर द्वारा वॉट्सऐप पर शेयर किए गए मैसेजों, वीडियो और फोटो में कोई तीसरा व्यक्ति ताक-झांक कर सकता है। वॉट्स ऐप के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा था कि वे यूजर की प्राइवेसी की रक्षा एंड-टू-एंड की टेक्नलॉजी के माध्यम से कर रहे हैं।