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लेखक अंकित तिवारीअवधि बोली में मीडिया साक्षरता पे लोगो को जागरूक करते है

Pahado Ki Goonj

 

आज जिस तरह से डिजिटल फ्रॉड ,फेक न्यूज,की घटनाओं में रोज इजाफा हो रहा है, यह हम सभी के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर आया है। ऐसे में जरूरी है की भारत में भी मीडिया साक्षरता के प्रति लोगो में जागरूकता होनी चाहिए। आमतौर पर साक्षरता कहने का मतलब लिखने पढ़ने की क्षमता से है परंतु व्यापक दृष्टि से देखें तो


साक्षरता से मतलब किसी भी चीज, क्षेत्र या काम को जानने समझने व करने की क्षमता, कौशल और उसके कार्य व्यवहार की बेसिक जानकारी को साक्षरता कहा जाता है।

इसी तरह व्यक्ति की उस क्षमता जिसके द्वारा वह मीडिया का सही इस्तेमाल कर सके वो चाहे रेडियो इंटरनेट टीवी प्रिंट या कोई भी सूचना का स्रोत हो हम कैसे सही सही उसका उपयोग कर सके वही मीडिया साक्षरता है। आज डिजिटल समय में सही जानकारी लोगो तक पहुंचना लोग उसे कैसे पहचाने, क्या सही, क्या गलत है इसकी समझ जरूरी है। ये हम सभी को पता होना चाहिए की मीडिया किस तरह से काम करता है मीडिया को कौन चलाता है चूंकि यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है । हमें उन सभी सूचना स्त्रोतों की पृष्ठभूमि व उद्देश्य को समझने जानने की भी जरूरत है। जिस तरह आज कॉरपोरेट घरानों ने भी मीडिया पे कब्जा किया है ऐसे में बड़ा सवाल निकल के आ रहा है कि क्या वैकल्पिक मीडिया ही आम आदमी की आवाज बनेगी।

इस दृष्टि से सोशल मीडिया बड़ी तेजी से उभर कर आम जन में पैठ बना रही है । मगर बेहद निरंकुश, मनमानी, स्वार्थी, अराजक, अच्छे बुरे हर तरह के तत्व उसमें शामिल हैं । जिनके ऊपर न कोई अंकुश है, न ही नियम कानून को लेकर उनमें समझ है। इसके अलावा स्वार्थी, देशद्रोही, अनैतिक तत्वों की भी भरमार है जो भेड़ियाधसान में कुछ भी कर गुजरने का मौका देखते हैं । हम स्वयं प्रतिदिन हजारों ऐसी सामग्री देखते हैं जो व्यक्ति, समाज, देश, संस्कृति, सभ्यता, व्यवहार के लिहाज से बेहद खतरनाक और दुखदायी है। उसके गलत प्रभाव प्रकैप से समाज को, आनेवाली पीढ़ियों को कैसे बचाएं, यह यक्ष प्रश्न भी सर पे सवार है।

खुद को आत्मनिर्भर बनाने और समाज को सशक्त करने में मीडिया की बड़ी भूमिका होती है। हमें मीडिया की बेसिक समझ इसलिए भी जरूरी की हम विश्लेषण कर सके हम गलत, सही ,अच्छे, बुरे, पक्ष, विपक्ष सभी को को परख सकें। चूंकि आज मीडिया समाचार मात्र नहीं बल्कि इसके सामाजिक राजनीतिक हल्कों में हर जगह अलग उपयोग, प्रभाव और खेल भी हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम नकारात्मक पक्ष को जान कर उससे बचेंगे और दूसरे को भी बचायें ।
आज सूचना विस्फोट के नए युग में हमें ये कौशल स्थापित करना होगा नहीं तो भ्रम, अविश्वास ,शंका के बीच भटकते रहेंगे समाज में लोगो के बीच टकराव की स्थिति बनी रहेगी ।
मीडिया साक्षरता से ही संचार क्षमता विकसित होगी ।

पश्चिम की देशों में बहुत पहले इसकी शुरुआत हो गई थी। एशिया में दो दशक से इसकी तरफ ध्यान आकर्षित हुआ है ।
बड़ी चिंता की बात है इतने बहुमूल्य विषय पर भारत में बहुत कम चर्चा परिचर्चा होती है ।
गेम खेलना मीडिया लिट्रेसी नही है फोटो शॉप ,एक्सेल आदि भी जानना मीडिया साक्षरता है ।
इसी लिए चार साल पहले मीडिया डिक्शनरी इनिशेटिव की शुरुआत की गई और चूंकि भारत अलग अलग बोली भाषाओं वाला देश है तो इसे हर बोली और भाषा में लोगों तक पहुंचाने, सिखाने का प्रयास जरूरी है। देश के विभिन्न राज्यों से मीडिया प्रोफेसर और स्कॉलर्स द्वारा सिखाने का प्रयास किया जा रहा है । बड़ी बात है की अभी तक देश के 36 बोली भाषाओं में मीडिया के नए नए शब्द बताए गए है।अभी इस दिशा में बहुत कार्य किया जाना है। सरकार सहित जनता के विभिन्न वर्गों यथा शिक्षक, पत्रकार, स्वयंसेवक सभी को आगे बढ़कर मीडिया साक्षरता में हाथ बटाने की जरूरत है।

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