आज विश्व में पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखने वाले जल ,जमीन ,वायु ,आकाश तत्वों को मानवीय संवेदनाओं की अनदेखी करते विकास की दौड़ में दौड़ाते हुए दूषित कर दिया है।पृथ्वी के सभी तत्व में अब अग्नि तत्त्व दूषित होने को रह गया है।भारत सदियों से विश्व को ज्ञान देता रहा है।आज भारत की आवादी विश्व के देशों को देखते हुए सबसे बड़ी आवादी में दूसरे स्थान पर है।भारत से जो सन्देश जाएगा उसका अनुसार विश्व के देशों में भी कहीं न कहीं जरूर होता है।इसलिए नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुट ने भारतीय लोगों को पर्यावरण की रक्षा करने , जन जागरण का संदेश देकर विश्व को उसके लिए कुछ कर गुजरने के लिए दुनिया को भारत के माध्यम से सन्देश देना का विचार किया होगा इनके लिए छोटे तोहफे से बड़ी सोच को दे गए नीदरलैंड के प्रधानमंत्री भारत के लिए।
टीम डिजिटल नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने अपनी मेजबानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व
पर्यावरण मनाने के माह जून में दिनांक 29जून2017 साइकिल भेंट की । सुनने में भले अटपटा लगे लेकिन इस तोहफे के पीछे नीदरलैंड की संस्कृति के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा जैसी बेशकीमती युक्ति भी छिपी हुई है।
दरअसल, किसी नायाब तोहफे के बजाए मोदी को साइकिल देने का विचार मार्क रूट को वहां की संस्कृति ने प्रेरित किया है। नीदरलैंड की 36 फीसदी आबादी दफ्तर जाने और दूसरे कामों में साइकिल का प्रयोग करती है। नीदरलैंड में वहां के लोग बिना किसी झिझक के साइकिल का प्रयोग करते है। करीब से देखे तो मोदी को साइकिल भेंट करने के पीछे की वजह दुनिया की दूसरी आवादी वाला देश भारत में सुस्त पड़े जागरूकता अभियान को नई उष्मा देना है।
आपको बतादें कि साइकिल का ट्रेंड 19वीं सदी में यूरोप में हुआ। ऐसा माना जाता है कि 1763 में फ्रांस के पियरे लैंटमेंट ने इसकी खोज की थी। भारत में साइकिल का जमाना 1960 से 1990 के समय था। लेकिन उदारीकरण के बाद घरों मे साइकिल की जगह बाइकों ,स्कूटरों ने ले ली है। उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में नोएडा में साइकिल ट्रैक बनाये गये पर अब उन पर सइकिल चलाने वाला कोई नहीं दिखता। गाजियाबाद में दो साल पूर्व साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए एक संगठन की शुरुआत हुई जिसमें लगभग 1100 लोग शामिल थे। लेकिन यह ज्यादा दिन तक सफल नही हो पाया।भारत अन्य देशों की अपेक्षा अधिक समय इस बहस करने देसकता है।यहां तो किसी भी घटना के पक्ष की जानकारी रखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती।तो प्रचार प्रसार करने के लिये सही माना है । ऐसे मौक पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन जन तक पहुंचाया जासकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 20 प्रदूषित शहरों में 13 भारतीय शहर शामिल हैं। हालांकि अभी भी भारतीय ग्रामीण इलाकों में साइकिल का इस्तेमाल देखने को मिल जाता है पर शहरी इलाकों में साइकिल से चलना लोगों के स्टेट्स सिंबल पर बट्टा लगने जैसा है।
मोदी सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ प्रकृतिक संपदाओं को बचाने के लिए भी प्रचार-प्रसार करना चाहिए। इससे आने वाली पीड़ी को सुरक्षित पर्यावरण मिलेगा और उनके लिए बेहतर कल की मजबूत नींव की बुनियाद रखी जाएगी। मोदीजी के भेंट की गई साइकिल पर बैठकर चलाने से देश वासियों को अच्छा सन्देश दिया है।इस सन्देश को जागरूक ता के रूप देने के लिए।हमारे देश के प्रत्येक देश वासियों का काम है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्व पर्यावरण की रक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनका हम पत्र के सम्पादक जीतमणि पैन्यूली 69 की उम्र में साइकिल की सवारी करते हुए प्रयास कर रहे हैं। आपको बताते हुए चले कि सम्पादक ने वर्ष1991 अगस्त में विश्व स्तर पर प्रथम गंगा जल कलश लेकर गौमुख गंगोत्री धाम से दिल्ली तक पद यात्रा कर सद्भावना का संदेश दिया है।मानवीय आधार पर पर्यावरण संरक्षण करना मानवता का धर्म एवं संस्कृति का अभिन्न अंग है।पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें हरसंभव प्रयास करने के लिए कार्य कर अन्य जनता को प्रेरित करने का काम करने की आवश्यकता है।भारत मे कोई कार्य भावनाओं से जुड़ा हुआ है तो करने में असम्भव नहीं होता है।वैसे काफी समय बातावरण बनाने अरबों रुपये खर्च करने के बाद में बर्वाद होजाता है।योजना भी लागू नहीं हो पाती है।यह मानव जीवन को बचाने के लिए नेक कार्य है ।इसलिए हमे अपना ईगो छोड़ कर साइकिल की सवारी करने में परहेज नहीं करना चाहिए। सरकार को भी अपने अधिकारियों के लिए ऑफिस आने जाने के लिए बस का गाड़ियों का सचिवालय विधानसभा में आने जाने का करना चाहिए।